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'आम आदमी जेल जाएं, लेकिन सीएम...' Delhi High Court में ED ने केजरीवाल की जमानत याचिका का किया विरोध

दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती है. केस में ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू पेश हुए, तो अरविंद केजरीवाल का पक्ष सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा. तीन घंटे की सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. 

अरविंद केजरीवाल, ईडी

Written by My Lord Team |Published : April 3, 2024 7:13 PM IST

बुधवार (03 अप्रैल, 2024) के दिन ईडी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अरविंद केजरीवाल की जमानत का विरोध किया. ईडी ने कहा, आगामी चुनाव के आधार पर जमानत की मांग नहीं कर सकते हैं. प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सीएम कोई अपवाद नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती है. केस में ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू पेश हुए, तो अरविंद केजरीवाल का पक्ष सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा. तीन घंटे की सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है.

दोनों पार्टियों के बीच क्या हुई बहस?

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस स्वर्ण कातां शर्मा की एकल-बेंच के सामने अरविंद केजरीवाल की याचिका प्रस्तुत की गई. अरविंद केजरीवाल ने ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दिया है. आइये जानते हैं दोनों पक्षों ने क्या कुछ कहा...

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अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा. लोकसभा चुनाव सिर पर है. ईडी द्वारा अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा, कि लोकतंत्र की फेयर प्ले नियम प्रभावित होगा.

एएसजी एसवी राजू ने इस तर्क का विरोध किया. एएसजी ने कहा, आम आदमी पार्टी सभी को एक समानता की बात कर रही है. जिसने देश को लूटा है, उन्हें आगामी चुनाव के आधार पर राहत नहीं दी जा सकती है.

एएसजी ने कहा,

"अगर आम आदमी ने अपराध किया है तो उसे सलाखों के पीछे जाना होगा लेकिन क्योंकि आप मुख्यमंत्री हैं इसलिए आपको गिरफ्तार नहीं किया जा सकता? आप देश को लूटेंगे लेकिन कोई आपको छू नहीं सकता क्योंकि चुनाव आ रहे हैं?"

एएसजी ने आगे कहा,

"आतंकवादी का मामला लीजिए जो एक राजनेता भी है. वह सेना के वाहन को उड़ा देता है और कहता है कि मैं चुनाव लड़ना चाहता हूं इसलिए आप मुझे छू नहीं सकते? यह किस तरह का तर्क है."

एएसजी एसवी राजू ने अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि गवाहों के बयान सत्य है या नही! ये ट्रायल का विषय है. इन बयानों का आशय है कि शराब नीति के निर्माण में बाहरी लोग शामिल थे या नहीं!

एएसजी ने कहा,

"बयानों पर विश्वास किया जाए या नहीं, यह मुकदमे का विषय है. अदालत खुद जांच अधिकारी की जगह नहीं ले सकती. गवाहों के बयान... यह दिखाने के लिए हैं कि बाहरी लोग नीति तैयार करने से लेकर निर्माण तक में शामिल थे."

एएसजी ने आगे कहा,

"हमने प्रदर्शित किया है कि जिस समय मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया गया था, उस समय कंपनी (AAP) के मामलों के लिए अरविंद केजरीवाल जिम्मेदार थे. कल अगर हमें लगेगा कि अन्य लोग भी इसके लिए जिम्मेदार थे, तो हम उन्हें भी जिम्मेदार ठहराएंगे."

अभिषेक मनु सिंघवी ने टोका. केजरीवाल के खिलाफ किसी तरह मनी ट्रेल नहीं मिला है.

एएसजी एसवी राजू ने कहा, हमें मनी ट्रेल का पता लगाना था. एएसजी का ईशारा गोआ इलेक्शन में आम आदमी पार्टी को मिले पैसे की तरफ ईशारा किया.

एएसजी ने कहा,

"मनी ट्रेल वहां है. हमने मनी ट्रेल का पता लगा लिया है. हो सकता है कि पैसे का इस्तेमाल किया गया हो और इसीलिए इसे ढूंढा नहीं जा सका."

अभिषेक मनु सिंघवी ने आतंकवादी और सेना के वाहनों के दिए उदाहरण से आपत्ति जताई.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा,

"वह आतंकवादियों द्वारा सेना के वाहन को उड़ाने के विचित्र उदाहरणों के साथ आए थे. यह एक विचित्र उदाहरण के अलावा और कुछ नहीं है. क्या कोई जघन्य अपराध हुआ है चुनाव आयोग के अधिसूचना जारी करने के बाद. आतंकवादी सेना के वाहन को उड़ा देता है और जघन्य अपराध करता है. यह पुष्टि करने के लिए अदालत की रिकॉर्डिंग देख सकती है कि उसने ऐसा कहा है. आप रिकार्डिंग देख सकती है."

एएसजी ने रिकार्डिंग शब्द पर आपत्ति जताते हुए कहा,

"क्या आप अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग कर रहे हैं? बड़ी संख्या में लोगों ने आपकी बात सुनी,"

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा,

"यह क्या है? मेरा कहना यह है कि अगर एक आदमी, एक मुख्यमंत्री सेना के वाहन को उड़ा देता है तो उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए. लेकिन क्या यह उचित एनालॉजी है?"

दोनों पक्षों ने ये दलील सिंगल-बेंच जज स्वर्ण कांता शर्मा के समक्ष रखी. जस्टिस अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका को सुन रही थी. दोनों पक्षों ने करीब तीन घंटों तक अपने-अपने पक्ष रखे.

दोनों पक्षों का फैसला सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.