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कलकत्ता हाईकोर्ट ने आचार संहिता उल्‍लंघन मामलों में कार्रवाई पर राज्‍य चुनाव आयोग से पूछे सवाल

पश्चिम बंगाल की सरकार के खिलाफ विपक्ष ने आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की जिसकी सुनवाई के दौरान कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग से कुछ सवाल पूछे

West Bengal State Election commission questioned by Calcutta HC in a Petition filed by Opposition

Written by Ananya Srivastava |Published : July 7, 2023 10:02 AM IST

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (West Bengal State Election Commission) से राज्य सरकार द्वारा 'सोरासोरी मुखोमोंत्री' (सीधे मुख्यमंत्री) नामक एक जन संपर्क कार्यक्रम शुरू किए जाने के बाद आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में सवाल किया है।

बता दें कि ये मामला कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ द्वारा सुना गया है। 'सोरासोरी मुखोमोंत्री' नामक इस कार्यक्रम के माध्यम से आम लोग अपनी शिकायतें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकते हैं।

आचार संहिता के उल्लंघन पर दायर हुई याचिका

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समाचार एजेंसी आईएएनएस (IANS) के अनुसार खंडपीठ पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्‍होंने आरोप लगाया है कि आगामी ग्रामीण निकाय चुनावों के मद्देनजर वर्तमान में राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू है। इस दौरान राज्य सरकार की ऐसी पहल स्पष्ट रूप से आचार संहिता का उल्लंघन है।

खंडपीठ ने आयोग से इस आरोप पर भी जवाब मांगा है कि इस कार्यक्रम के लिए उसी नंबर का उपयोग किया जा रहा है जिसका उपयोग 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले शुरू किए गए इसी तरह के एक कार्यक्रम 'दीदीके बोलो' (मुख्यमंत्री को बताएं) के लिए गया था।

अधिकारी ने किया सवाल

अधिकारी ने सवाल किया था कि 'दीदीके बोलो' एक राजनीतिक अभियान कार्यक्रम था। ऐसे में उसी नंबर का उपयोग 'सोरासोरी मुखोमोंत्री' के लिए कैसे किया जा सकता है जो एक प्रशासनिक पहल है।

खंडपीठ ने आयोग को गुरुवार को अदालती सत्र के दूसरे भाग में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसके बाद ही मामले की दोबारा सुनवाई होगी।

अधिकारी ने मूल रूप से मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ में याचिका दायर की थी। लेकिन न्यायमूर्ति सिन्हा ने उस याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और इसकी बजाय नेता प्रतिपक्ष को मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ के पास जाने की सलाह दी थी। तदनुसार, बुधवार को अधिकारी ने खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया।