Indian Succession Act: वसीयत एक कानूनी तौर पर मान्य विधिक दस्तावेज है जिसके ज़रिए आप अपनी संपत्ति अपनी इच्छा से किसी संबंधित व्यक्ति को अपनी मृत्यु के बाद सौंपते हैं. अगर आप बालिग हैं और मानसिक रुप से स्वस्थ हैं, तो भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 कि धारा 63 के अनुसार अपनी वसीयत लिख सकते हैं.
अगर आपके कानूनी उत्तराधिकारी कई हैं, तो वसीयत न होने पर उनके बीच विवाद हो सकता है. इसी समस्या से बचने के लिए कई लोग अपनी सम्पत्ति का वसीयत के माध्यम से बंटवारा कर देते है. वसीयत लिखने के लिए आप अपने वकील की सहायता भी ले सकते है या फिर इसे आप खुद से भी लिख सकते है. आइये जानते है विस्तार से कि कैसे लिखें अपनी वसीयत.
ऐसा कोई भी व्यक्ति जो मानसिक रुप से स्वस्थ्य तथा वयस्क ( major) हो, अपनी वसीयत बना सकता है. किसी के दबाव या जबरदस्ती बनवाया गया वसीयत को वैध नहीं माना जाता है, केवल वसीयतकर्ता ( testator) की स्वतंत्र इच्छा द्वारा बनाई गई वसीयत ही वैध मानी जाती है. व्यक्ति अपने जीवित रहते किसी भी समय वसीयत बना सकता है, शर्त केवल ये है कि वह बालिग हों. इसके अलावा, उम्र तथा व्यक्ति कितनी बार वसीयत कर सकता है, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
अगर किसी व्यक्ति के पास कोई संपत्ति है, तो उसे वसीयत बनानी होगी. वसीयत का उद्देश्य संपत्ति के मालिक को उसको अपने बाद किसी को सौंपने का अधिकार देना है. वसीयत से वसीयतकर्ता द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर संपत्ति का हस्तांतरण (transfer) आसान हो जाता है। अगर वसीयतकर्ता के बच्चे नाबालिग हैं, तो वह वसीयत में बच्चों का नाम लिख सकता है.
संपत्ति का बंटवारा मृत व्यक्ति के परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों के बीच अक्सर विवाद का कारण बना रहता है. वसीयत होने से ऐसे विवादों से बचा जा सकता है। वसीयतकर्ता अगर चाहे तो अपनी संपत्ति दान में भी दे सकता है.
वसीयत का कोई तय प्रारुप नहीं है, लेकिन इसमें कानूनी रूप से कुछ जरुरी बातें होनी चाहिए, ताकि बाद में कोई इसका विरोध न कर सकें. यहां कुछ बातें हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए:
वसीयत बनाने वाला व्यक्ति किसी के दबाव में नहीं बल्कि खुद की मर्जी से लिख रहा हो, क्योंकि ऐसा न करने पर कोई भी वसीयत कानूनी रूप से मान्य/वैध नहीं होती है. वसीयत बनाते समय आप यह भी बताएं कि आप किसे अपना वसीयत प्रबंधक (Executor) बनाना चाहते हैं और बताएं कि पहले की वसीयत को रद्द माना जाए.
वसीयत लिखते समय आपको अपनी प्रॉपर्टी, म्यूचुअल फंड, बचत खातों में जमा पैसा, सावधि जमा (Fixed deposit) आदि सहित मौजूद सभी संपत्तियों की एक लिस्ट बनाएं। इसे दोबारा चेक करें, ताकि कोई संपत्ति छूट न जाये.
इसके बाद, अपनी संपत्ति को यह बताते हुए विभाजित करें कि किसको विरासत में क्या मिलेगा. किसी भी तरह के संदेह को दूर करने के लिए, हर संपत्ति का बारी बारी से बंटवारा करें. अगर आप किसी अवयस्क सदस्य को कोई संपत्ति दे रहे हैं, तो बताएं कि उसका संरक्षक कौन होगा। किसी ऐसे व्यक्ति को चुनें जिस पर आपको पूरा भरोसा हो.
इन सभी का ध्यान रखने के बाद, दो गवाहों से वसीयत पर हस्ताक्षर कराया जाएगा. आपने उनकी उपस्थिति में वसीयत पर हस्ताक्षर किए हैं, यह प्रमाणित करने हेतु उनके हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी. वसीयत पर हस्ताक्षर करने की तारीख और स्थान के साथ-साथ अपने गवाहों के पूरे पते तथा नाम लिखें. हालांकि गवाहों को आपकी वसीयत पढ़ने की आवश्यकता नहीं है.
आप और आपके गवाह का वसीयत के हर एक पन्ने ( pages) पर हस्ताक्षर होना चाहिए. अगर आप वसीयत में कोई सुधार करना चाहते हैं, तो आपको तथा आपके गवाहों को उस पर फिर से हस्ताक्षर करना होगा.