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Advocate Amendment Bill 2025 के ड्रॉफ्ट से बार काउंसिल ने जताई नाराजगी, हड़ताल पर गए वकीलों ने की इन बदलावों की मांग

लॉ एवं विधि मंत्रालय ने एडवोकेट अमेंडमेंट विधेयक 2025 का एक ड्राफ्ट जारी किया है, जिसके प्रावधानों से आपत्ति जताते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि विधेयक में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो बार काउंसिल की स्वायत्तता को कमजोर करते हैं, जैसे कि केंद्रीय सरकार द्वारा सदस्यों की नियुक्ति.

Advocate Act

Written by Satyam Kumar |Published : February 19, 2025 6:31 PM IST

Advocates (Amendment) Bill, 2025: लॉ एवं विधि मंत्रालय ने एडवोकेट अमेंडमेंट विधेयक 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है. 28 फरवरी तक लोग, एडवोकेट और क्षेत्र से प्रभावित होनेवाले सभी स्टेकहोल्डर्स इस पर अपनी राय दे सकते हैं. ड्रॉफ्ट से आपत्ति जताते हुए जिला अदालतों के सभी वकीलों ने न्यायिक कार्य से दूर रहने का फैसला किया है. कील इस विधेयक में किए गए विभिन्न संशोधनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, विशेष रूप से धारा 35 के समावेश के कारण, जो अदालतों के काम से बहिष्कार या अनुपस्थिति पर प्रतिबंध लगाता है. वहीं संशोधन विधेयक की धारा 35 के अनुसार, बिना अदालत के कार्य में बाधा डाले वकील हड़ताल कर सकते हैं.

BCI ने ड्रॉफ्ट के प्रावधानों से जताई आपत्ति

BCI के अनुसार, विधेयक में कई ऐसे प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो बार काउंसिल की स्वायत्तता को कमजोर करते हैं. विशेष रूप से, केंद्रीय सरकार द्वारा BCI में दो सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान अत्यधिक मनमाना है. BCI का कहना है कि सरकार द्वारा नामांकित सदस्य BCI की स्वायत्तता को प्रभावित करेंगे और इसे एक सरकारी नियामक निकाय में बदल देंगे.  BCI ने 'कानूनी प्रैक्टिशनर' और 'कानूनी प्रैक्टिस' की परिभाषाओं में किए गए परिवर्तनों पर भी चिंता जताते हुए कहा कि नया प्रावधान ऐसे फर्मों और संस्थाओं को शामिल करता है जो बार काउंसिल के साथ पंजीकृत नहीं हैं. BCI के अनुसार, नया प्रावधान 'अस्पष्ट मानदंड' पेश करता है. केंद्र सरकार को बीसीआई को दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार देने को लेकर भी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह प्रावधान बार काउंसिल्स की स्वायत्तता पर सीधा हमला है, जिससे कानूनी पेशे के आत्म-नियामक ढांचे (Self-Regulatory Bodies) को कमजोर किया जा रहा है.

ड्रॉफ्ट में इन सुधार की मांग

ड्रॉफ्ट में विदेशी कानून फर्मों को रेगुलेट करने की जिम्मेदारी केंद्रीय सरकार को दी गई है. इसे लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) का मानना है कि वह विदेशी कानून फर्मों को नियंत्रित करने के लिए सक्षम है और वह इस मामले में नियमों को बनाने में केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करने को तैयार है. बीसीआई ने यह भी कहा कि 'प्रैक्टिस ऑफ लॉ' (Practice Of Law) की परिभाषा को हटाने से अस्पष्टता उत्पन्न होती है और इससे ढ़ेर सारी नई समस्याएं पैदा हो सकती है. बीसीआई ने दावा किया कि इन परिभाषाओं को मनमाने ढंग से हटा दिया गया है, जो अधिवक्ताओं के लिए आवश्यक स्पष्टता को कम करता है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने  हड़ताल पर रोक लगाने के प्रावधान को भी हटाने की मांग की है.

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