छात्रों को क्लासेस में 75 प्रतिशत की उपस्थिति एक अनिवार्य नियम है. अगर छात्र की उपस्थिति इससे कम रहती है, तो उन्हें परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा. ऐसा ही लॉ स्टूडेंट्स के छात्रों के साथ, कम अटेंडेंस के चलते उन्हें भी सेमेस्टर इक्जाम देने से मना कर दिया गया. अब अटेंडेंस के मसले को लेकर छात्र दिल्ली हाई कोर्ट के पास गए. हाई कोर्ट ने मामले को सुना. अदालत ने क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए कहा कि अटेंडेंस को लेकर किसी तरह की राहत देने से इंकार किया. हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया और दिल्ली यूनिवर्सिटी को ऐसा आदेश दिया है, जो अटेडेंस की समस्या को दूर कर सकती है. आइये जानते हैं...
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को निर्देश दिया है कि वे कानून की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाओं के लिए उचित सुरक्षा उपायों और शर्तों के साथ एक तंत्र विकसित करने पर विचार करें. 11 फरवरी को पारित आदेश में, दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा कि वे एक ऐसा तंत्र विकसित करें जिससे छात्र सुरक्षित तरीके से ऑनलाइन कक्षाएं ले सकें.
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में ऑफलाइन उपस्थिति का महत्व है, लेकिन तकनीकी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विकास ने प्रभावी दूरस्थ शिक्षा तंत्र बनाने का एक अवसर प्रदान किया है. अदालत ने यह टिप्पणी उन याचिकाओं को खारिज करते हुए की, जिनमें कानून के छात्रों ने उपस्थिति की कमी के कारण सेमेस्टर परीक्षाओं में बैठने की अनुमति मांगी थी. अदालत ने कहा कि रिट क्षेत्राधिकार के तहत कुल उपस्थिति की आवश्यकता में कोई छूट नहीं दी जा सकती, लेकिन अधिकारियों को ऑनलाइन कक्षाओं के लिए तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया.