Advertisement

'BCI नियमों के अनुसार महिला वकीलों का चेहरा ढककर बहस करना प्रतिबंधित', ड्रेस कोड पर जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने इस मामले में रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General) से रिपोर्ट मांगी कि क्या नियम महिला वकीलों को चेहरे को ढ़ककर पेश होने की अनुमति देते हैं.

Written by Satyam Kumar |Published : December 23, 2024 1:24 PM IST

हाल ही में जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट (Jammu and Kashmir HC0 ने बार काउंसिल के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि महिलाएं चेहरे को ढ़ककर अदालत के समक्ष पेश नहीं हो सकती है. अदालत की ये टिप्पणी तब आई, जब एक व्यक्ति अदालत के सामने चेहरा ढ़ककर बहस करने पहुंचा. अदालत ने उसे चेहरे से कवर हटाने को कहा, जिसे उसने मानने से इंकार कर दिया. इस पर अदालत ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के नियमों से महिलाएं अदालत में चेहरे को ढ़ककर उपस्थित हो सकती हैं. जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने इस मामले में रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General) से रिपोर्ट मांगी कि क्या नियम महिला वकीलों को चेहरे को ढ़ककर पेश होने की अनुमति देते हैं.

महिला वकील चेहरे को ढककर नहीं कर सकती बहस: HC

जस्टिस मोक्ष खजूरिया काजमी ने 13 दिसंबर को रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के नियमों में महिलाओं के ड्रेस कोड में किसी विशेष अधिकार का उल्लेख नहीं किया गया है. बीसीआई नियमों की धारा 49(1)(gg) के नियमों का संदर्भ देते हुए, कोर्ट ने कहा कि महिला वकीलों के लिए ऐसे परिधान की अनुमति नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा नहीं की क्योंकि संबंधित व्यक्ति ने मामले में आगे शामिल नहीं हुआ.

क्या है मामला?

मामला 27 नवंबर के दिन का है, जब एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट के समक्ष पेश होकर खुद को वकील सैयद ऐनाइन कादरी बताया. वह महिला, वकील की वर्दी में थी, लेकिन उसने अपना चेहरा ढक रखा था. उस समय यह मामला न्यायाधीश राहुल भारती के समक्ष था, जिन्होंने उसके फेस कवर को हटाने के लिए कहा. सैयद ऐनाइन कादरी ने कहा कि यह उसका मौलिक अधिकार है कि वह चेहरे को ढककर पेश हो सकती है, जिससे आपत्ति जताते हुए जस्टिस भारती ने मामले की सुनावई टालते हुए कि अदालत उसकी पहचान की पुष्टि नहीं कर सकती, इसलिए उसे याचिकाकर्ता के वकील के रूप में स्वीकार नहीं किया गया.

Also Read

More News

अदालत ने इस मामले की सुनवाई को स्थगित करते हुए कहा कि जिस्ट्रार जनरल से पूछा कि क्या कोई नियम है जो महिला वकीलों को अपने चेहरे को ढकने का अधिकार देता है? रजिस्ट्रार जनरल ने 5 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे जस्टिस काजमी ने सुना. अदालत ने फेस कवर करके अदालत के सामने पेश होने से इंकार किया है.