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'पूरक वाद सूची में शामिल हो मुकदमों की सुनवाई का क्रम', एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने चीफ जस्टिस से की मांग

AOR ने सीजेआई संजीव खन्ना को लिखे पत्र में अनुरोध करते हुए कहा कि पूरक वाद सूची में अगले दिन के लिए सभी अदालतों में मुकदमों के सुनवाई का क्रम शामिल होना चाहिए, ताकि हमारे सदस्यों के लिए बेहतर योजना और तैयारी संभव हो सके.

सीजेआई संजीव खन्ना

Written by Satyam Kumar |Published : December 1, 2024 11:18 AM IST

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAOR) ने भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय की पूरक वाद सूची में अगले दिन की सभी अदालतों की सुनवाई का क्रम शामिल करने का अनुरोध किया. एसोसिएशन ने कहा कि पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे के बाद अनुक्रम का आदेश जारी करने का वर्तमान चलन सभी ‘एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड’, वकीलों, क्लर्कों और अन्य लोगों के लिए भारी चुनौतियां पैदा कर रहा है. बता दें कि कॉज लिस्ट से ही पता चलता है कि कौन-से मामले की सुनवाई कब होनी है, सप्लीमेंट्री कॉज लिस्ट में उन मामलों की सूची होती हो, जो अंतिम क्षण में सुनवाई के लिए शामिल किए जाते हैं.

एसोसिएशन के सचिव अधिवक्ता निखिल जैन द्वारा लिखे पत्र के मुताबिक, बार के बुजुर्ग सदस्य और वे वकील जो तकनीकी रूप से बहुत कुशल नहीं हैं, इसका खामियाजा भुगत रहे हैं और अक्सर अपने मामलों की सुनवाई में शामिल नहीं हो पाते हैं. पत्र में निखिल जैन ने मांग करते हुए कहा कि पूरक वाद सूची में अगले दिन के लिए सभी अदालतों की सुनवाई का क्रम शामिल होना चाहिए, ताकि हमारे सदस्यों के लिए बेहतर योजना और तैयारी संभव हो सके.

एसोसिएशन ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ अदालतें पहले दौर के मामलों में छूट देने से इनकार कर रही हैं, जो चिंता का विषय है और यह वकीलों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है.

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एसोसिएशन ने पत्र में कहा कि इसलिए, एक दिन पहले ही मामलों की सुनवाई का क्रम जान लेने से अधिवक्ताओं को अपने दिन की योजना बनाने और अपने समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में बहुत मदद मिलेगी. एसोसिएशन ने कहा कि वाद सूची का समय पर प्रकाशन और मामलों के क्रम पर स्पष्टता सुनिश्चित करेगी कि अधिवक्ता उचित परिश्रम के साथ तैयारी कर सकें व अदालत के समय का पूरा उपयोग हो सके.

एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस से अनुरोध किया कि अदालतों द्वारा कम से कम एक बार छूट दी जानी चाहिए तथा ऐसे अनुरोध को अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.