समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को क्यों सता रहा डर
समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से अनुकूल फैसले की उम्मीद तो है ही लेकिन साथ में डर भी सता रहा है.
समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से अनुकूल फैसले की उम्मीद तो है ही लेकिन साथ में डर भी सता रहा है.
राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों पर नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंपने के शीर्ष अदालत के आदेश को नकारने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के बाद इसकी आशंका पैदा हुई.
सीजेआई की अध्यक्षता में इस 5 सदस्य संविधान पीठ ने अप्रेल माह में 18, 19, 21, 25, 26 और 27 तारीखों में सुनवाई की. वही मई माह में 3, 10 और 11 मई को सुनवाई करते हुए कुल 10 दिन तक सुनवाई की है.
समलैगिंग विवाह की कानूनी मान्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को वैवाहिक स्थिति के बावजूद बच्चे को गोद लेने की अनुमति देते हैं.
समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर दायर करीब 20 याचिकाओं पर Supreme Court की 5 सदस्य संविधान पीठ सुनवाई कर रही है.सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने समिति को लेकर जानकारी दी है.
Supreme Court में आज कल Same Sex Marriage को वैध बनाने को लेकर सुनवाई चल रही है, ऐसे में आज हम आपको 10 ऐसे देशों के बारे में बताएंगें जहां समलैंगिक विवाह को सबसे पहले लीगल किया गया है.
हलफनामे में केन्द्र ने कहा है कि वर्तमान मामले में संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्यों के विधायी अधिकार और राज्यों के निवासियों के अधिकार शामिल हैं और इसलिए सभी राज्यों को भी इस सुनवाई में शामिल किया जाना चाहिए.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 20 याचिकाएं दायर की गईं.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी. पीठ में CJI डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.
रविवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए अपने जवाब में केन्द्र सरकार ने कहा है कि समान लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा यौन संबंध रखना और समलैंगिक विवाह भारतीय परिवार की अवधारणा में शामिल नहीं है.
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समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता को लेकर दायर करीब 20 याचिकाओं पर Supreme Court की 5 सदस्य संविधान पीठ सुनवाई कर रही है.सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने समिति को लेकर जानकारी दी है.
हलफनामे में केन्द्र ने कहा है कि वर्तमान मामले में संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्यों के विधायी अधिकार और राज्यों के निवासियों के अधिकार शामिल हैं और इसलिए सभी राज्यों को भी इस सुनवाई में शामिल किया जाना चाहिए.
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CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्य संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी. पीठ में CJI डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली, जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल है.
रविवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए अपने जवाब में केन्द्र सरकार ने कहा है कि समान लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा यौन संबंध रखना और समलैंगिक विवाह भारतीय परिवार की अवधारणा में शामिल नहीं है.