हमारे कानून में अपराध को कितने श्रेणी में बांटा गया है- जानिए यहां
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
किसी और की संपत्ति को अपना बताना गलत है और हमारे कानून ने तो इसे अपराध बताया है,लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कोई किसी मृत व्यक्ति के गहने को गलत मंशा के साथ अपना बताता है तो क्या उसे अपराध माना जाएगा.
किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए परन्तु पुलिस का काम अपराध होने से पहले उसे रोकना भी है इसलिए कुछ खास परिस्थितियों में पुलिस के पास गिरफ्तारी के कुछ विशेषाधिकार हैं.
जब भी किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है तो पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए जिसके बारे में कानून में बताया गया है. गिरफ्तारी से संबंधित बहुत से अधिकार पुलिस को दी गई है.
मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित या मौखिक रूप में. लिखित रूप में यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशितरूप में या लिखितरूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है लेकिन, जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण दिया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है.
नए कानून के अनुसार सरकारी भर्ती, बोर्ड सहित 10 तरह की परीक्षाओं को शामिल किया गया. और किसी भी सार्वजनिक परीक्षा को बाधित करने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर इस कानून में कम से कम 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान किया गया.
सीआरपीसी के अनुसार अपराध को दो भागों में बांटा गया हैं. संज्ञेय अपराध प्रकृति में गंभीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं. इस तरह के अपराध के मामलों में पीड़ित की और से सरकार द्वारा मुकदमा लड़ा जाता है.
हालांकि ये अपराध एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. इस अपराध को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है और जमानत भी दी जा सकती है.
सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.
किसी और की संपत्ति को अपना बताना गलत है और हमारे कानून ने तो इसे अपराध बताया है,लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कोई किसी मृत व्यक्ति के गहने को गलत मंशा के साथ अपना बताता है तो क्या उसे अपराध माना जाएगा.
जब भी किसी व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार करती है तो पुलिस के पास उसके खिलाफ पुख्ता सबूत होना चाहिए जिसके बारे में कानून में बताया गया है. गिरफ्तारी से संबंधित बहुत से अधिकार पुलिस को दी गई है.
मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित या मौखिक रूप में. लिखित रूप में यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशितरूप में या लिखितरूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है लेकिन, जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण दिया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है.
नए कानून के अनुसार सरकारी भर्ती, बोर्ड सहित 10 तरह की परीक्षाओं को शामिल किया गया. और किसी भी सार्वजनिक परीक्षा को बाधित करने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर इस कानून में कम से कम 5 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान किया गया.
सीआरपीसी के अनुसार अपराध को दो भागों में बांटा गया हैं. संज्ञेय अपराध प्रकृति में गंभीर एवं संगीन प्रकृति के होते हैं. इस तरह के अपराध के मामलों में पीड़ित की और से सरकार द्वारा मुकदमा लड़ा जाता है.
हालांकि ये अपराध एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. इस अपराध को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है और जमानत भी दी जा सकती है.