Supreme Court के पूर्व जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त
जस्टिस एस अब्दुल नजीर देश के लिए बेहद महत्वूपूर्ण और ऐतिहासिक अयोध्या बाबरी केस का फैसला देने वाली पीठ का भी हिस्सा थे.
जस्टिस एस अब्दुल नजीर देश के लिए बेहद महत्वूपूर्ण और ऐतिहासिक अयोध्या बाबरी केस का फैसला देने वाली पीठ का भी हिस्सा थे.
सुप्रीम कोर्ट में कभी धर्म के अनुसार किसी जज की नियुक्ति नहीं हुई है, लेकिन ये भी एक हकीकत है कि सुप्रीम कोर्ट में जब भी कोई ऐसा मामला आया है जिसमें मुस्लिम जज की जरूरत पड़ी है. उस बेंच में एक मुस्लिम जज जरूर मौजूद रहें. इलाहाबाद हाईकोर्ट से सीधे देश की सर्वोच्च अदालत में जज नियुक्त होने वाले जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह सुप्रीम कोर्ट के 19वें मुस्लिम जज हैं.
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर मोस्ट जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर 4 जनवरी को सेवानिवृत हो गए है . देश की सर्वोच्च अदालत यानी की सुप्रीम कोर्ट में जजों की सेवानिवृति आयु 65 वर्ष है जिसके चलते जस्टिस नजीर का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्यदिवस था.
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर मोस्ट जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर 4 जनवरी को सेवानिवृत हो गए है . देश की सर्वोच्च अदालत यानी की सुप्रीम कोर्ट में जजों की सेवानिवृति आयु 65 वर्ष है जिसके चलते जस्टिस नजीर का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्यदिवस था.
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनियर मोस्ट जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर 4 जनवरी को सेवानिवृत हो गए है . देश की सर्वोच्च अदालत यानी की सुप्रीम कोर्ट में जजों की सेवानिवृति आयु 65 वर्ष है जिसके चलते जस्टिस नजीर का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्यदिवस था.
जस्टिस एस अब्दुल नजीर देश के लिए बेहद महत्वूपूर्ण और ऐतिहासिक अयोध्या बाबरी केस का फैसला देने वाली पीठ का भी हिस्सा थे.
सुप्रीम कोर्ट में कभी धर्म के अनुसार किसी जज की नियुक्ति नहीं हुई है, लेकिन ये भी एक हकीकत है कि सुप्रीम कोर्ट में जब भी कोई ऐसा मामला आया है जिसमें मुस्लिम जज की जरूरत पड़ी है. उस बेंच में एक मुस्लिम जज जरूर मौजूद रहें. इलाहाबाद हाईकोर्ट से सीधे देश की सर्वोच्च अदालत में जज नियुक्त होने वाले जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह सुप्रीम कोर्ट के 19वें मुस्लिम जज हैं.