जहां जमानत दी जानी चाहिए और वहाँ नहीं दी जाए, तो यह 'बौद्धिक बेईमानी': Supreme Court
High Court जज के लिए विचाराधिन उत्तरप्रदेश के एक न्यायिक अधिकारी के मामले में Supreme Court ने तत्काल सुनवाई से इंकार किया है.
High Court जज के लिए विचाराधिन उत्तरप्रदेश के एक न्यायिक अधिकारी के मामले में Supreme Court ने तत्काल सुनवाई से इंकार किया है.
सुप्रीम कोर्ट सतेंद्र कुमार अंतिल के मामले में पूर्व में दिए अपने जुलाई 2022 के फैसले की पालना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा था.पीठ ने कहा कि इस तरह के आदेश उत्तरप्रदेश की अदालतों द्वारा सबसे अधिक बार पारित किए गए है.
दो नए जजों की नियुक्ति और उनकी शपथ के साथ ही अब देश की सर्वोच्च अदालत में कार्यरत जजों की संख्या 34 हो गई है. शुक्रवार को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस अरविंद कुमार का शपथग्रहण आज सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट की एडिशनल बिल्डिंग के सी ब्लॉक स्थित आडीटोरियम में आयोजित किया गया.
2019 में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 34 होने के बाद ये तीसरी बार होगा, जब सुप्रीम कोर्ट के स्वीकृत पदों पर जजों के सभी पद भरे जाऐंगे. पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल में कुछ समय के लिए ही सुप्रीम कोर्ट के सभी 34 जज एक साथ कार्यरत थे.
गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार को गुजरात न्यायपालिका में कई बड़े बदलावों के लिए जाना जाता है.केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद शुक्रवार को ही राष्ट्रपति भवन से सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में उनकी नियुक्ति वारंट जारी हुए है. वे सोमवार को सुबह 10.30 बजे सर्वोच्च अदालत में मुख्य न्यायाधीश कक्ष में आयोजित होने वाले सादे समारोह में सुप्रीम कोर्ट जज की शपथ लेंगे.
देश की सर्वोच्च अदालत में इन 2 जजों की नियुक्ति के साथ ही ये सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत जजों की संख्या 34 हो गई है. यह तीसरी बार है जब देश की सर्वोच्च अदालत में जजों के बढाए गए पदों के बाद सभी वैकेंसी पूर्ण कर दी गई.
गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की पीठ ने पैतृक संपति से जुड़ी एक भाई की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये महत्वपूर्ण टिप्पणी की है.
भारत के अलावा दुनिया के कुछ देशों में ही अदालतों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाता है, इसमें यूके, साउथ अफ्रीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्राजील, जर्मनी और चीन जैसे देश शामिल हैं.लोकतंत्र के मामले में दुनिया का नेतृत्व करने वाले अमेरिका ने अब तक सुप्रीम कोर्ट को कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत नहीं दी है.
High Court जज के लिए विचाराधिन उत्तरप्रदेश के एक न्यायिक अधिकारी के मामले में Supreme Court ने तत्काल सुनवाई से इंकार किया है.
सुप्रीम कोर्ट सतेंद्र कुमार अंतिल के मामले में पूर्व में दिए अपने जुलाई 2022 के फैसले की पालना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रहा था.पीठ ने कहा कि इस तरह के आदेश उत्तरप्रदेश की अदालतों द्वारा सबसे अधिक बार पारित किए गए है.
दो नए जजों की नियुक्ति और उनकी शपथ के साथ ही अब देश की सर्वोच्च अदालत में कार्यरत जजों की संख्या 34 हो गई है. शुक्रवार को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस अरविंद कुमार का शपथग्रहण आज सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट की एडिशनल बिल्डिंग के सी ब्लॉक स्थित आडीटोरियम में आयोजित किया गया.
2019 में सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 34 होने के बाद ये तीसरी बार होगा, जब सुप्रीम कोर्ट के स्वीकृत पदों पर जजों के सभी पद भरे जाऐंगे. पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल में कुछ समय के लिए ही सुप्रीम कोर्ट के सभी 34 जज एक साथ कार्यरत थे.
गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार को गुजरात न्यायपालिका में कई बड़े बदलावों के लिए जाना जाता है.केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद शुक्रवार को ही राष्ट्रपति भवन से सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में उनकी नियुक्ति वारंट जारी हुए है. वे सोमवार को सुबह 10.30 बजे सर्वोच्च अदालत में मुख्य न्यायाधीश कक्ष में आयोजित होने वाले सादे समारोह में सुप्रीम कोर्ट जज की शपथ लेंगे.
देश की सर्वोच्च अदालत में इन 2 जजों की नियुक्ति के साथ ही ये सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत जजों की संख्या 34 हो गई है. यह तीसरी बार है जब देश की सर्वोच्च अदालत में जजों के बढाए गए पदों के बाद सभी वैकेंसी पूर्ण कर दी गई.
गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की पीठ ने पैतृक संपति से जुड़ी एक भाई की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये महत्वपूर्ण टिप्पणी की है.
भारत के अलावा दुनिया के कुछ देशों में ही अदालतों की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाता है, इसमें यूके, साउथ अफ्रीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्राजील, जर्मनी और चीन जैसे देश शामिल हैं.लोकतंत्र के मामले में दुनिया का नेतृत्व करने वाले अमेरिका ने अब तक सुप्रीम कोर्ट को कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत नहीं दी है.