क्या है विवाह संबंधित अपराध? जानिए IPC की ये धाराएं
देश में आए दिन विवाह से जुड़े मामले सामने आते हैं, जैसे शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाना, जो कानून की नजर में दंडनीय अपराध है. ऐसे अपराध के लिए IPC की धाराओं में सजा के प्रावधान बताए गए हैं.
देश में आए दिन विवाह से जुड़े मामले सामने आते हैं, जैसे शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाना, जो कानून की नजर में दंडनीय अपराध है. ऐसे अपराध के लिए IPC की धाराओं में सजा के प्रावधान बताए गए हैं.
पति या पत्नी के रहते हुए भी बिना तलाक लिए दूसरी बार विवाह करना एक अपराध है जिसके लिए दोषी मान कर कानूनन सजा भी दी जा सकती है.
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तहत किडनैपिंग और अपहरण को अलग-अलग परिभाषित किया गया है.
IPC की धारा 354 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और सजा के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसकी एक उपधारा में महिलाओं का पीछा करने (Stalking) से संबंधित अपराध और उससे सम्बंधित सजा के प्रावधान का भी उल्लेख है.
किसी का अपहरण करना एक संगीन अपराध है, जिसके लिए पकड़े जाने पर दोषी को कठोर सजा भी दी जाती है. बहुत कम लोग ये जानते हैं कि किडनैपिंग और अपहरण में अंतर होता है.
National Crime Record Bureau (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 तक अकेले स्टॉकिंग के तकरीबन 14,175 ऐसे मामले थे जिनकी जांच चल रही थी. 9,285 ऐसे मामले थे जो पिछले साल दर्ज किए गए थे. जबकि 4,890 ऐसे मामले थे जिनकी जांच शुरु भी नहीं हुई थी.
आईपीसी की धारा 309 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपनी जान लेने की कोशिश करता है और अगर वो बच जाता है तो उसे एक निश्चित अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी. इसके अलावा अगर कोई किसी को आत्महत्या के लिए बहकाता है तो वो भी अपराध माना जाएगा लेकिन अगर बहकावे में आने वाला व्यक्ति कोई बच्चा हो तो क्या आप जानते हैं कि दोषी को क्या सजा मिलेगी.
किसी महिला की सहमति के बिना उसके शरीर के किसी भी हिस्से को छूना IPC की धारा 354 के तहत दंडनीय अपराध है और यह महिला का शील भंग करने के बराबर है. बॉम्बे हाईकोर्ट ऐसे ही एक मामले में बिना सहमति महिला का पैर छूने पर एक साल की सजा पर मुहर लगाई थी.
किसी से जबरन उसका सामान ले लेना या उसे लूट लेना एक गैर कानूनी कार्य है. जिसके लिए दोषी पाए जाने पर कानून सख्त सजा भी देती है ताकि ऐसा अपराध कोई दोबारा करने की हिम्मत ना करे.
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डीआईजी विनय सिंह ने मालीवाल और तीन अन्य प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश रचने और धारा 13 के तहत अन्य अपराधों के लिए आरोप तय किए थे.
अगर किसी की वजह से किसी को शारीरिक दर्द हो रहा है तो वह व्यक्ति कानूनी रूप से दोषी माना जाएगा, जिसके लिए उसे सजा भी दी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें भूमि बिक्री से संबंधित मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120B (आपराधिक षड्यंत्र) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दायर प्राथमिकी निरस्त करने से इनकार कर दिया गया था.
हमारे कानून में केवल गैरकानूनी जमीन की खरीद बिक्री करना, या उस पर कब्जा करना ही अपराध की श्रेणी में नहीं आता है बल्कि अवैध रूप से जमीन की बोली लगाना भी एक अपराध है.
एक लोक सेवक के आदेश की अवहेलना करना या उनके काम में बाधा डालना अपराध है. दोषी पाए जाने पर कानूनी रूप से वह व्यक्ति दंडित किया जाता है.
अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के कहने पर सच बोलने की शपथ या प्रतिज्ञा नहीं लेता है या इंकार कर देता है वह दोषी माना जाएगा. जिसके लिए उसे सजा भी प्राप्त हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट हत्या के आरोपित इंद्रजीत दास की त्रिपुरा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हाई कोर्ट ने दास की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302/34 (हत्या और साझा मंशा) और धारा 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत सुनाई गई सजा बरकरार रखी थी.
लोक सेवक लोगों की मदद करने के लिए होते हैं, कुछ लोग उनकी ताकत का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं जो कानूनी रूप से अपराध है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शराब नीति मामले में बेल के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. जहां उन्होंने अपनी याचिका में सीबीआई जांच और गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए जमानत की मांग की थी.
जो कोई लोक सेवक किसी अन्य व्यक्ति को किसी कथित अपराध के चलते या किसी सज़ा के चलते या कानूनी तौर पर कारावास में रखने के लिए बाध्य है, लेकिन वह लोक सेवक अपनी लापरवाही दिखाता है तो जानिए क्या होता है.
किसी ऐसे सैनिक को अगर आप अपने घर में पनाह दे रहे हैं जो भगोड़ा है तो सावधान हो जाईए.
कहते हैं अपराधी अपराध करने से पहले ये नहीं देखते कि सामने कौन है वो देश की सेनी की को भी नहीं छोड़ते. इन्ही उपद्रवियों रोकने के लिए देश में कड़े कानून बनाए गए हैं .
उन्नाव रेप कांड (Unnao Rape Case) में दोषी रहे, बीजेपी (BJP) से निष्कासित और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) को जमानत मिल गई है.
अपराध करना अगर गुनाह है तो अपराधी को छुपाना, अपराध करने में किसी की मदद करना या अपराधी को अपने पास रखना भी कानूनी रूप से दंडनीय है.
कुछ डॉक्टर ऐसे होते हैं जिनके कारण कारण मरीजों की समस्या कम होने के बदले और बढ़ जाती है. इलाज के दौरान कुछ डॉक्टर लापरवाही कर देते हैं. इस लापरवाही पर कानून भी बहुत सख्त है
IPC की धारा 213 और 214 इससे संबंधित है और ऐसे कृत्यों के लिए सज़ा का प्रावधान बनाती है. इस धारा के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी अपराधी को बचाने के लिए कोई उपहार या संपत्ति लेता है या देता है, इन दोनों ही स्थिति में उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज़ किया जा सकता है और सख्त सज़ा भी दी जा सकती है.
हमारे संविधान ने हमें जहां एक ओर अधिकार दिए हैं वहीं कुछ जिम्मेदारियां भी दी हैं. वो जिम्मेदारी है देश में शांति व्यवस्था बनाए रखना. देश के प्रति ईमानदार रहना, देश में शांति व्यवस्था को कायम रखना. अगर कोई व्यक्ति उन जिम्मेदारियों को पूरा करने में चूक जाता है या उनका उल्लंघन करता है तो भारतीय दंड संहिता (India Penal Code) के तहत उन्हे सजा भी दी जाती है.
कहते हैं गुनाह करने वाले से भी बड़ा गुनहगार होता है उस गुनाह को छिपाने वाले. कानूनी रूप से इसे एक अपराध माना जाता है. हमारे देश में इसे लेकर भारी सजा का भी प्रावधान है.
भारतीय दंड सहिंता (Indian Penal Code) में 208 और 210 के तहत परिभाषित अपराध के अनुसार जो कोई व्यक्ति, किसी राशि के लिए धोख से अपने खिलाफ डिक्री (Decree) होने देता है या अपने हित में डिक्री (Decree) हासिल करता है, तो दोनों ही स्थिति में उसे दंडित किया जा सकता है. आइए जानते हैं IPC की धारा 208 और 210 के विषय में कुछ अहम बातें.
Indian Penal Code की धाराएं 19, 20 और 21 में न्यायाधीश, न्यायालय (Court of Justice) और लोक सेवक को परिभाषित करती है.
भारतीय दंड संहिता 1860 में कई अपराध और सजा दोनों के बारे में जानकारी दी गई है. इनमें से हैं धारा 117 और 118 है. आईए जानते हैं धारा 117 और 118 में किन अपराधों के लिए सजा मिलती है.
भारतीय दंड संहिता(Indian Penal Code)1860 की धारा (Section)120A,120B चैप्टर पांच A के अंतर्गत आता है. इस चैप्टर को दो भागों में बाटा गया है. पहली धारा (Section)120A और दूसरी धारा (Section)120B.
हमारे देश के कानून के अनुसार किसी सरकारी कार्मिक यानी लोकसेवक द्वारा किसी अपराध को छुपाने या अपराध करने में मदद करने पर भी जेल की सजा का प्रावधान करता है.
IPC में हर अपराध की अलग परिभाषा दी गई है. इसके अंदर आने वाले धारा 114 और 115 भी किसी अपराध और उसके तहत क्या सजा होनी चाहिए उसके बारे में बताता है.
ऐसे चीज़ जो धरती से नहीं जुड़ी हुई है और उसे उसकी जगह से किसी दूसरी जगह पर आसानी से ले जाया जा सकता है. जैसे आपकी पॉकेट में रखा हुआ पैसा, मोबाईल, आपकी घड़ी, आईपैड, गाडी, आभूषण, कंप्यूटर, धन जैसी मूल्यवान चीजें चल संपत्ति (Movable Property) में आती है, जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है.
मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित या मौखिक रूप में. लिखित रूप में यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशितरूप में या लिखितरूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है लेकिन, जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण दिया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है.
IPC की धारा 113 भी दुष्प्रेरण (उकसाने) पर मिलने वाले सजा को लेकर ही है. जब कोई किसी को अपराध के लिए उकसाता है तो उस अपराध के अलावा कोई और अपराध हो जाए और अगर उकसाने वाले व्यक्ति को उस बारे में पहले से ही पता हो, तब उसे कैसी सजा मिलेगी. क्या उसे वही सजा मिलेगी जिसके लिए उसने उकसाया था या फिर कुछ और अपराध होने की वजह से उकसाने वाले को सजा नहीं मिलेगी.