Juvenile Justice Act का क्या है? जानिये इससे जुड़े महत्वपूर्ण प्रावधान
र्तमान किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के लड़के या लड़की को 'किशोर' अथवा 'बालक' की श्रेणी में रखा गया है।
र्तमान किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के लड़के या लड़की को 'किशोर' अथवा 'बालक' की श्रेणी में रखा गया है।
अंतरिम जमानत देने के मामले में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा के मतभेद के बाद जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने विशेष सुनवाई करते हुए तीस्ता को यह राहत दी
र्तमान किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के लड़के या लड़की को 'किशोर' अथवा 'बालक' की श्रेणी में रखा गया है।
अंतरिम जमानत देने के मामले में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा के मतभेद के बाद जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने विशेष सुनवाई करते हुए तीस्ता को यह राहत दी