क्या है भारतीय संविधान के Amendment की प्रक्रिया, पहला संशोधन कब और किस कारण हुआ था? जानिए
भारतीय संविधान में संशोधन किस तरह किया जा सकता है और इसमें पहला संशोधन कब और क्यों किया गया था, आइए जानते हैं...
भारतीय संविधान में संशोधन किस तरह किया जा सकता है और इसमें पहला संशोधन कब और क्यों किया गया था, आइए जानते हैं...
आज, 25 जुलाई, 2023 को 'वर्ल्ड आईवीएफ डे' मनाया जाता है। इस मौके पर, आइए जानते हैं कि आईवीएफ होता क्या है, इसे लेकर देश में क्या कानूनी प्रावधान हैं, आईसीएमआर के इसको लेकर क्या दिशानिर्देश हैं और इस प्रक्रिया से जो बच्चे पैदा होते हैं, उन्हें क्या अधिकार मिलते हैं..
यह फैसला विवादित सांप्रदायिक सरकारी आदेश पर आधारित है, जो आजादी से पहले लागू किया गया था और संविधान लागू होने के लंबे समय बाद तक प्रभावी रहा।
10वीं अनुसूची में (Anti-Defection Law) का प्रावधान है, ये वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन के द्वारा लाया गया है
रॉबर्ट्स ने लिखा है कि "इस राय में ऐसा कुछ भी नहीं माना जाना चाहिए जो विश्वविद्यालयों को किसी आवेदक की चर्चा पर विचार करने से रोकता हो कि नस्ल ने उसके जीवन को कैसे प्रभावित किया, चाहे वह भेदभाव, प्रेरणा या अन्यथा के माध्यम से हो."
भारतीय संविधान में संशोधन सम्बन्धी प्रावधान भाग 20 (XX) 368वें अनुच्छेद में बताया गया है. संविधान में संशोधन मुख्यत: तीन प्रकार से हो सकता है
भारतीय संविधान में संशोधन सम्बन्धी प्रावधान भाग 20 (XX) के 368वें अनुच्छेद में बताया गया है.
न्यायालय की कार्यवाही शुरू होते ही मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय को विधायी प्रक्रिया में दखल नहीं देना चाहिए था. उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता जी टी तिरुमुरुगन की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए 24 मई को शासकीय आदेश तथा आगे की सभी कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी थी.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र से मांग की है कि वो 'शवों से दुष्कर्म' को एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में लाएं और भारतीय दंड संहिता में इसे लेकर संशोधन करें
कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा है कि उन्हें IPC में या तो संशोधन करना चाहिए या फिर नए प्रावधानों को लाना चाहिए जिससे उन लोगों को कड़ी सजा मिल सके जो शवों के साथ दुष्कर्म कर रहे हैं.
पहले सिर्फ जाति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था थी लेकिन इस संशोधन के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की गई.
संविधान के 39वे संशोधन को इंदिरा नेहरू गांधी बनाम राज नारायण (AIR 1975 SC 2299) मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. जब इस पर सुनवाई हुई तो कोर्ट ने केसवानंद भारती बनाम केरल सरकार मामले में प्रतिपादित मूल संरचना सिद्धांत का उपयोग किया और 7 नवंबर 1975 को इस संशोधन को निरस्त कर दिया .
भारत के पंजीकृत विदेशी नागरिक कार्डधारक से भारत में राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों का दौरा करने के लिए घरेलू भारतीय के समान प्रवेश शुल्क लिया जाएगा. उन्हें भारत में डॉक्टरों, दंत चिकित्सकों, नर्सों और फार्मासिस्टों, अधिवक्ताओं, फार्मासिस्ट और चार्टर्ड एकाउंटेंट के व्यवसायों को करने की अनुमति है.
संपत्ति दो प्रकार की होती है- एक विरासत में मिली हुई और दूसरी खुद कमाई हुई. खुद कमाई हुई संपत्ति पर तो केवल खुद का अधिकार होता है परन्तु पैतृक संपत्ति के मामले में ऐसा नहीं है. पैतृक संपत्ति से जुड़े अधिकार के कानून थोड़ा पेचिदा है.
दुष्कर्म से जुड़े अपराधों के तहत पीड़ित के नाम या किसी भी ऐसी सूचना जिससे पीड़ित की पहचान का पता लगाया जा सके उसको प्रिंट या प्रकाशित करता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा.
हमारे देश में किसी भी सरकारी अधिकारी या सरकार के लिए काम करने वाले व्यक्ति को हर महीने वेतन दिए जाते हैं. लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे होते हैं, जो ज्यादा पैसे कमाने के लालच में अपने पद का दुरुपयोग करते हैं. जिसे कानून अपराध मानता है.
नए साल में सुप्रीम कोर्ट कई बड़े फैसले देने जा रहा है. इनमें 2016 में हुई नोटबंदी की वैधता, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष कमिटी बनाने की मांग, तमिलनाडु में सांडों को काबू करने खेल- जल्लीकट्टू और जम्मू-कश्मीर में सीटों के परिसीमन जैसे कई मुद्दे शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने देश सभी राज्यों में motor accident claims जांच के लिए पुलिस स्टेशनों या कम से कम शहर स्तर पर एक special units का गठन करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों की पालना तीन महीने की अवधि के भीतर सुनिश्चित करने को कहा है.
भारत के पंजीकृत विदेशी नागरिक कार्डधारक से भारत में राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों का दौरा करने के लिए घरेलू भारतीय के समान प्रवेश शुल्क लिया जाएगा. उन्हें भारत में डॉक्टरों, दंत चिकित्सकों, नर्सों और फार्मासिस्टों, अधिवक्ताओं, फार्मासिस्ट और चार्टर्ड एकाउंटेंट के व्यवसायों को करने की अनुमति है.
संपत्ति दो प्रकार की होती है- एक विरासत में मिली हुई और दूसरी खुद कमाई हुई. खुद कमाई हुई संपत्ति पर तो केवल खुद का अधिकार होता है परन्तु पैतृक संपत्ति के मामले में ऐसा नहीं है. पैतृक संपत्ति से जुड़े अधिकार के कानून थोड़ा पेचिदा है.
दुष्कर्म से जुड़े अपराधों के तहत पीड़ित के नाम या किसी भी ऐसी सूचना जिससे पीड़ित की पहचान का पता लगाया जा सके उसको प्रिंट या प्रकाशित करता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा.
हमारे देश में किसी भी सरकारी अधिकारी या सरकार के लिए काम करने वाले व्यक्ति को हर महीने वेतन दिए जाते हैं. लेकिन कुछ अधिकारी ऐसे होते हैं, जो ज्यादा पैसे कमाने के लालच में अपने पद का दुरुपयोग करते हैं. जिसे कानून अपराध मानता है.
नए साल में सुप्रीम कोर्ट कई बड़े फैसले देने जा रहा है. इनमें 2016 में हुई नोटबंदी की वैधता, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष कमिटी बनाने की मांग, तमिलनाडु में सांडों को काबू करने खेल- जल्लीकट्टू और जम्मू-कश्मीर में सीटों के परिसीमन जैसे कई मुद्दे शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने देश सभी राज्यों में motor accident claims जांच के लिए पुलिस स्टेशनों या कम से कम शहर स्तर पर एक special units का गठन करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेशों की पालना तीन महीने की अवधि के भीतर सुनिश्चित करने को कहा है.
याचिकाकर्ता का दावा है कि शरीयत कानून में महिला उत्तराधिकारी होने में भेदभाव किया जाता है. क्योंकि उसके पिता की संपत्ति का बंटवारा सभी में समान रूप से किया जाना चाहिए. लेकिन शरीयत कानून पुरुष और महिला बच्चों के बीच विभाजन के संबंध में भेदभाव करता है जो कि 2:1 के रूप में सामने आता हैं.
अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र संशोधन विधेयक 2022 (New Delhi International Arbitration Centre Bill-2022) पर सरकार का पक्ष रखते हुए कानून मंत्री रिजिजू ने राज्यसभा में ये बात कही. इस विधेयक को बुधवार 14 दिसंबर को ध्वनिमत से पारित किया गया.