नई दिल्ली: अगर आपकी सालाना आय इतनी नहीं है कि इनकम टैक्स नियमों के दायरे में आये तब भी क्या आपको टैक्स भरना चाहिए, चलिए जानते हैं क्योंकि Income Tax Return फाइल करने का वक्त आ गया है.
आपको बता दे कि कैपिटल गेन टैक्स में इस बार कई नियमों बदलाव किए गए हैं. अब न्यू टैक्स रिजीम ही डिफॉल्ट टैक्स रिजीम है. बहुत से ऐसे लोग हैं जो इक्विटी इन्वेस्टमेंट के जरिये काफी कमाते हैं, लेकिन उनमे बहुत से ऐसे लोग भी हैं जिन्हें जानकारी नहीं होती है कि अगर उनकी इनकम टैक्सेबल नहीं है तो उन्हें क्या करना चाहिए.
अगर आप इक्विटी इन्वेस्टमेंट करते हैं, जैसे की शेयर बाजार में लिस्टेड शेयरों में यदि आपने इन्वेस्ट किया है, या फिर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, और इस तरह का निवेश करते हुए आपको एक साल से ज्यादा वक्त हो गया है तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के तहत आता है और इसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है .
आपको बता दे की 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स छूट मिलती है, इसके ऊपर के रिटर्न पर आपको 10 फीसदी के हिसाब से टैक्स भरना होगा, Equity Investment Tax रूल के अनुसार .
जो लोग इक्विटी इन्वेस्टमेंट करते हैं और वह आईटीआर फाइल करते है तो उन्हे अपने इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म में ये सोर्स डिस्क्लोज़ करना होगा.
अगर आपकी पूरी टैक्स लायबिलिटी ही जीरो है तो आप आईटीआर नियमों के दायरे से बाहर माने जाएंगे. यानि आप टैक्स फाइल करने के लिए बाध्य नहीं होंगे, लेकिन जिनका इनकम टैक्स नियमों के दायरे में नहीं आता उन्हें भी आईटीआर फाइल करने की सलाह दी जाती है.
इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अनुसार, टैक्स लायबिलिटी नहीं होने पर आपको टैक्स भरने से छूट मिलती जरुर है. इसीलिए आपको आईटीआर भरना चाहिए जिसके कई कारण.
सबसे पहला और बेहद महत्वपूर्ण कारण है कि यह आपके आय का कानूनी प्रमाण होता है. अगर आपकी सैलरी से टीडीएस कट गया है या कटता है तो आपको टीडीएस क्लेम करने के लिए आईटीआर फाइल करना चाहिए. इससे आपको लोन लेने में भी मदद मिलती है.
पासपोर्ट या वीजा के लिए आय प्रमाण से जुड़े दस्तावेज दिखाने की जरूरत होती है, ऐसे में आईटीआर एक बड़ा प्रूफ साबित होता है.
हमारे देश में दो टैक्स रिजीम हैं- ओल्ड और न्यू. दोनों में बहुत ज्यादा फर्क हैं. दोनों में टैक्सेबल इनकम का दायरा अलग-अलग है.
अगर कोई ओल्ड टैक्स रिजीम में आईटीआर फाइल करता है तो उन्हे 2.5 लाख तक के ग्रोस टोटल इनकम पर कोई टैक्स नहीं भरना होता है. इसके ऊपर भी टैक्सपेयर रिबेट और एक्जेम्पशन लेकर दो लाख तक टैक्स बचा सकता है. इससे टैक्सपेयर के टैक्स की देनदारी कम होती है.
लेकिन न्यू टैक्स रिजीम में इस बार के बजट में 3 लाख तक की आय को टैक्स भरने तक पूरी तरह से छूट मिली हुई है. वहीं, रिबेट के साथ 7 लाख तक की इनकम पर भी आपको टैक्स छूट मिल जाती है, इससे टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है.