आज अदालत के सामने वकील विष्णु शंकर जैन ने पश्चिम बंगाल में इमरजेंसी लागू करने के बारे में याचिका जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने रखी. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि पश्चिम बंगाल के हालात को देखते हुए वहां अर्धसैनिक बलों की तत्काल तैनाती की ज़रूरत है. हमने SC में पहले से लंबित मामले में नई अर्जी दाखिल की है. जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि आप चाहते हैं कि हम इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को आदेश जारी करें? वैसे भी ऐसे समय में जब हम पर कार्यपालिका के काम में दखलंदाजी करने का आरोप लग रह है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दोबारा से याचिका से दायर करने को कहा है, अदालत ने कहा कि याचिका में फैक्ट सही ढंग से नहीं रखे गए हैं.
मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़कने को लेकर बंगाल में शांति बहाल करने के लिए केन्द्रीय पुलिस फोर्स तैनात करने के आदेश देने की मांग की गई थी. यह याचिका संविधान के आर्टिकल 355 के तहत दायर की गई थी, जो केन्द्र को राज्य में हिंसा-उपद्रव की स्थिति को संभालने व शांति बहाल करने के लिए पैरमिलिट्री फोर्स तैनात करने की शक्ति देता है. इस याचिका को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने सुना. जस्टिस ने कहा कि आप हमें केन्द्र को फोर्स तैनात करने के आदेश देने को कह रहे हो जबकि हम पर पहले ही कार्यपालिका के कार्यों में दखल अंदाजी करने का आरोप झेल रहे हैं.
जस्टिस बीआर गवई ने कहा,
"जैसा कि अभी है, हम पर विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों में अतिक्रमण करने का आरोप लग रहे हैं."
इसके बाद विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा के मद्देनजर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग करने वाले दो याचिकाकर्ताओं की ओर से 2021 में जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बेंच से मंगलवार को सुनवाई के लिए एक नई याचिका लेने का आग्रह किया. जैन ने कहा कि 2021 की याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है और पश्चिम बंगाल में हिंसा की और घटनाओं को सामने लाने वाली नई याचिका पर भी सुनवाई की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा,
"कल की सूची में वाद संख्या 42 पश्चिम बंगाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने से संबंधित है. यह याचिका मैंने दायर की है. उस याचिका में, मैंने पश्चिम बंगाल राज्य में हुई हिंसा की कुछ और घटनाओं को सामने लाने के लिए निर्देश और अभियोग लगाने के लिए एक आईए (आवेदन) दायर किया है."
जैन ने कहा कि अर्धसैनिक बल की तैनाती और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 355 का हवाला दिया, जो बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से राज्यों की रक्षा करने के लिए संघ के कर्तव्य से संबंधित है, और कहा कि शीर्ष अदालत राज्य में क्या हो रहा है, इस बारे में रिपोर्ट मांग सकती है.
जैन ने कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले 2021 की याचिका पर नोटिस जारी किया था. उन्होंने कहा कि जब मामला आएगा, तो मैं दिखाऊंगा कि हिंसा कैसे हुई. जुलाई 2021 में, शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें राज्य में सशस्त्र/अर्धसैनिक बलों को तैनात करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की भी मांग की गई थी. इसके बाद इसने याचिका पर केंद्र, पश्चिम बंगाल और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. साथ ही इस बार भी, सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें नए अधिनियमित वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा की न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग की गई.