तमिलनाडु सरकार ने 2024-2025 के लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत केंद्रीय शिक्षा निधि में 2,151 करोड़ रुपये से अधिक की राशि कथित रूप से रोके रखने को लेकर केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के खिलाफ दायर द्रमुक सरकार की याचिका में संविधान के अनुच्छेद 131 का हवाला दिया गया है. यह कानून शीर्ष न्यायालय को केंद्र और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच याचिकाओं की सुनवाई करने का विशेष अधिकार प्रदान करता है.
राज्य सरकार ने दावा किया कि केंद्र ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और संबंधित पीएम श्री स्कूल योजना के कार्यान्वयन के लिए मजबूर करने का प्रयास किया जिस पर उसने कड़ी आपत्ति जताई, विशेष रूप से विवादास्पद तीन-भाषा फार्मूले पर, इसलिए शीर्ष अदालत से यह घोषित करने का आग्रह किया गया कि "एनईपी और पीएम श्री स्कूल योजना वादी राज्य पर तब तक बाध्यकारी नहीं हैं जब तक कि वादी और प्रतिवादी के बीच तमिलनाडु के भीतर उनके कार्यान्वयन के लिए एक औपचारिक समझौता नहीं हो जाता है. याचिका में यह भी घोषित करने की मांग की गई है कि समग्र शिक्षा योजना के तहत धन प्राप्त करने के लिए तमिलनाडु के अधिकार को एनईपी 2020 के कार्यान्वयन और राज्य के भीतर पीएम श्री स्कूल योजना से जोड़ने की केंद्र की कार्रवाई असंवैधानिक, अवैध, मनमानी, अकारण है.