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लंबी-लंबी तारीख देने से बचे... जमानत मामलों के निपटारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से किया अनुरोध

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे जमानत से संबंधित मामलों की सुनवाई की तारीखें लंबी दें. सुनवाई के दौरान अदालत ने और भी कुछ कहा...

Supreme court

Written by Satyam Kumar |Published : March 6, 2025 5:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे जमानत से संबंधित मामलों की लंबी तारीखें नहीं दें. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब उन्हें बताया गया कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर अस्थायी जमानत की याचिका पर सुनवाई की तारीख दो महीने बाद निर्धारित की है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्होंने इस आधार पर अस्थायी जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि उनके मुवक्किल की दो साल की बेटी को तत्काल सर्जरी की जरूरत है.

जमानत मामलों की सुनवाई जल्दी सुनिश्चित करें

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कि हाई कोर्ट ने 21 फरवरी को पारित अपने आदेश में मामले की सुनवाई 22 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी थी. इस सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को निर्देशित करते हुए कहा कि जमानत देने के मामलों में अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे मामले को इतनी लंबी तारीख तक रोके रखें. साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता को शीघ्र सुनवाई के लिए हाई कोर्ट जाने की अनुमति दे दी.

अस्थायी जमानत की मांग से जुड़ा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस मामले की तारीख जल्दी की तय कर दे और कम से कम याचिकाकर्ता की बेटी के ऑपरेशन को लेकर चिकित्सा आधार पर अस्थायी जमानत देने के संबंध में मामले की सुनवाई करे. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय में जल्दी सुनवाई के लिए आवेदन दायर कर किया था लेकिन इसे खारिज कर दिया गया.

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जस्टिस गवई ने पूछा,

अब, इस टिप्पणी के साथ, क्या आपको लगता है कि उच्च न्यायालय इसे खारिज कर देगा?"

पीठ ने कहा कि यदि हाई कोर्ट याचिका पर नोटिस जारी करेगा तो प्रतिवादी जवाब देने के लिए समय मांगेगा और मामले में देरी हो सकती है. शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय में इस मामले पर शीघ्र सुनवाई की जा सकती है.

जस्टिस बीआर गवई ने कहा,

"हम उम्मीद करते हैं कि हाई कोर्ट हमारे अनुरोध पर कम से कम कुछ ध्यान देगा."

याचिका का निदान करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याची को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में जाने की इजाजत दे दी.