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सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से किया इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट तोड़ने पर रोक लगाने से इनकार किया. हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार डीडीए को तोड़फोड़ की प्रक्रिया के दौरान निवासियों को न्यूनतम असुविधा सुनिश्चित करनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट (सौजन्य से SC की ऑफिसियल वेबसाइट)

Written by Satyam Kumar |Published : October 10, 2025 9:56 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया है, जिसमें मुखर्जी नगर स्थित सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट को गिराने पर रोक लगाने से मना किया गया था. अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश पर फिलहाल रोक की कोई आवश्यकता नहीं है. जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई इस याचिका में 17 सितंबर को हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा दिए गए अंतरिम आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था.

सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा शुरू की गई 2010 की एक बहुमंजिला आवासीय योजना का हिस्सा है. इसमें 336 फ्लैट हैं, 224 उच्च आय वर्ग श्रेणी के और शेष 112 मध्यम आय वर्ग श्रेणी के - और इसमें 12 ब्लॉक हैं. वर्ष 2010 में फ्लैटों के पहले आवंटन और 2012 में कब्जे के दो-तीन साल बाद, अधिकतर ब्लॉक में इमारतों की बाहरी दीवारों के प्लास्टर गिरने लगे और खंभों में दरारें पड़ गईं.

अपने 17 सितंबर के आदेश में, हाई कोर्ट ने एक अंतरिम उपाय के रूप में डीडीए को आदेश दिया कि वह उसके आदेश के दो दिनों के भीतर सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के परिसर में एक कैंप कार्यालय स्थापित करे ताकि निवासियों द्वारा फ्लैट खाली करने और उन्हें सौंपने के लिए दस्तावेजीकरण और अन्य कागजी कार्रवाई में आसानी हो. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि तोड़फोड़ की कार्रवाई पर कोई रोक नहीं होगी, हालांकि डीडीए यह सुनिश्चित करे कि निवासियों को न्यूनतम असुविधा हो.

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