चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में चीफ जस्टिस की भूमिका ख़त्म करने के केंद्र सरकार के कानून पर रोक की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश हुए सीनियर वकील प्रशान्त भूषण ने कहा कि यह मामला सीधे लोकतंत्र की बुनियाद से जुड़ा है इसलिए कोर्ट इसकी सुनवाई का दिन तय कर दे. सीनियर एडवोकेट के आग्रह पर कोर्ट ने 16 अप्रैल को केस सुनवाई के लिए लिस्ट किया है. पिछले साल 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को पारदर्शी बनाने के लिए आदेश दिया था कि इन पदों पर नियुक्ति चीफ जस्टिस, पीएम और विपक्ष के नेता वाली कमेटी द्वारा की जाएं, लेकिन सरकार ने कानून लाकर इस नियुक्ति में चीफ जस्टिस की भूमिका को खत्म कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में आज यह मामला आज सुनवाई के लिए लगा था, लेकिन मामला सुनवाई के क्रम में नीचे था. ऐसे में इसकी संभावना थी कि अदालत आज इस केस तक reach नहीं कर पाता, यानि की सुनवाई पर नहीं हो पाती, इसलिए प्रशांत भूषण ने सुनवाई की कोई निश्चित तारीख तय करने की मांग की. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम 16 अप्रैल को सुनवाई के लिए लगा रहे है. उम्मीद है कि उस दिन सुनवाई पूरी कर ली जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि ये मामला उस दिन सबसे पहले सुनवाई के लिए लाया जाए.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की मांग पर सुनवाई को स्थगित किया. सॉलिसिटर जनरल ने एक दूसरे मामले में संविधान पीठ के समक्ष उपस्थित होने के कारण स्थगन की मांग की, दूसरे मामले में यह तय किया जाना था कि क्या अदालतें मध्यस्थ पुरस्कारों में संशोधन कर सकती हैं.
जनवरी में हुई सुनवाई में, प्रशांत भूषण ने कहा था कि नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संविधान पीठ के निर्णय के अनुसार होनी चाहिए या नए कानून के तहत. पहले की सुनवाई में, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने चिंता व्यक्त करते हुए मांग किया कि सीईसी और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के खिलाफ दायर याचिकाओं को शीघ्रता से निपटाया जाना चाहिए. उन्होंने तर्क किया कि सीईसी राजीव कुमार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इस मामले की तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है. सीनियर वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि यदि मामले की सुनवाई में देरी होती है, तो एक अंतरिम आदेश पारित किया जाए. हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने इस मांग का विरोध किया और कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित कानून के कार्यान्वयन पर अंतरिम स्थगन की अनुमति नहीं दी है.
अनूप बरनवाल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त को नियुक्त करनेवाली कमेटी में सीजेआई को शामिल करने का आदेश दिया था. जिसके खिलाफ केन्द्र सरकार ने CEC Act लाकर इस फैसले को पलट दिया और सीजेआई की जगह चयन समिति में केन्द्रीय मंत्री को शामिल किया है. इस मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम, 2023 ( CEC Act) प्रधानमंत्री (पीएम), एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता को मिलाकर एक चयन समिति बनाने की अनुमति देता है, जो सीईसी (CEC) और चुनाव आयुक्तों के पदों के लिए नाम का सुझाव देते हैं