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मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में से CJI को हटाने का मामला, सॉलिसिटर जनरल की गुजारिश पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की मांग पर सुनवाई को स्थगित किया, क्योंकि उन्हें एक अन्य मामले में संविधान पीठ के समक्ष उपस्थित होना था.

Written by Satyam Kumar |Published : February 20, 2025 10:14 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उन याचिकाओं की सुनवाई स्थगित कर दी, जो उस कानून को चुनौती देती हैं, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है. इस बीच सोमवार को, केंद्र सरकार ने 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार को नए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के रूप में नियुक्त किया है. यह नियुक्ति राजीव कुमार के स्थान पर की गई है, जिनका कार्यकाल 18 फरवरी को समाप्त हो गया. इस नियुक्ति ने सीजेआई की अनुपस्थिति में चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है.

CEC की नियुक्ति में CJI को शामिल करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की मांग पर सुनवाई को स्थगित किया. सॉलिसिटर जनरल ने एक दूसरे मामले में संविधान पीठ के समक्ष उपस्थित होने के कारण स्थगन की मांग की, दूसरे मामले में यह तय किया जाना था कि क्या अदालतें मध्यस्थ पुरस्कारों में संशोधन कर सकती हैं.

जनवरी में हुई सुनवाई में, प्रशांत भूषण ने कहा था कि नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संविधान पीठ के निर्णय के अनुसार होनी चाहिए या नए कानून के तहत. पहले की सुनवाई में, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने चिंता व्यक्त करते हुए मांग किया  कि सीईसी और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के खिलाफ दायर याचिकाओं को शीघ्रता से निपटाया जाना चाहिए. उन्होंने तर्क किया कि सीईसी राजीव कुमार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इस मामले की तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है. सीनियर वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि यदि मामले की सुनवाई में देरी होती है, तो एक अंतरिम आदेश पारित किया जाए. हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने इस मांग का विरोध किया और कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने विवादित कानून के कार्यान्वयन पर अंतरिम स्थगन की अनुमति नहीं दी है.

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CEC की सिफारिश समिति में बदलाव

मार्च 2023 में, सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी, जो प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई की सलाह पर आधारित होगी. सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद, संसद ने एक नया कानून पेश किया, जिसमें कहा गया कि सीईसी और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी, जो एक चयन समिति की सिफारिश पर आधारित होगी. इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे.

इस बदलाव को लेकर कई जनहित याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई हैं, जो सीईसी और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती हैं. इनमें से एक याचिका ने सीजेआई को चयन समिति में शामिल करने की मांग की है.