One Rank-One Pension के आधार पर हाई कोर्ट के सभी रिटायर Judges को एकसमान पेंशन का अधिकार: Supreme Court
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के एडिशनल जज से रिटायर से हुए जजों को हाई कोर्ट के परमानेंट जजों को मिलनेवाली पेंशन की राशि में अंतर पर विचार कर रही थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से रिटायर जजों को समान पेंशन देने की बात कही.
Supreme Court, HC
Written by Satyam Kumar|Updated : May 19, 2025 4:45 PM IST
आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वन रैंक-वन पेंशन के सिद्धांत को आधार बनाते हुए हाई कोर्ट के सभी जज को एकसमान पेंशन देने का फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद से हाई कोर्ट के एडिशनल जज से रिटायर हुए जजों को परमानेंट जज के समान ही पेंशन दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि सेवा में आने के समय, न्यायिक सेवा और बार से नियुक्ति के आधार पर पेंशन में अंतर नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि कुछ भी हो, पूर्ण पेंशन पाने के हकदार होंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद नियुक्ति की तिथि और सेवा के आधार पर भेदभाव को समाप्त करता है, जिससे सभी सेवानिवृत्त हाई कोर्ट के जजों को इस फैसले से लाभ होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को इसे लेकर दिशानिर्देश भी जारी किए हैं;
भारत सरकार हाई कोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस को प्रति वर्ष 15 लाख रुपये की पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगी.
हाई कोर्ट के रिटायर जज (चीफ जस्टिस को छोड़कर) को भारत सरकार प्रति वर्ष 13.50 लाख रुपये की पूर्ण पेंशन देगी. और इसमें हाई कोर्ट एडिशनल जज के रूप में सेवानिवृत्त व्यक्ति भी शामिल होंगे.
हाई कोर्ट के रिटायर के लिए भारत सरकार 'एक रैंक एक पेंशन' के सिद्धांत का पालन करेगी. भले ही वे हाई कोर्ट में जिला अदालत से पदोन्नत किए गए हों या बार से आए. साथ ही उनके सेवा के वर्षों से इस पर कोई अंतर नहीं पड़ेगा.
हाई कोर्ट के रिटायर जज, जो पहले जिला न्यायाधीश रहे हों और जिन्होंने योगदान आधारित पेंशन योजना या नई पेंशन योजना के लागू होने के बाद जिला न्यायपालिका में प्रवेश किया था, उन्हें भारत सरकार द्वारा पूरे पेंशन का भुगतान किया जाएगा. और ऐसे न्यायाधीशों के एनपीएस में योगदान की राशि राज्यों द्वारा वापस की जाएगी, साथ ही उस पर अर्जित लाभांश भी.
भारत सरकार उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीश जिनकी मृत्यु कार्यकाल में हुई है, की विधवा या परिवार के सदस्यों को पारिवारिक पेंशन का भुगतान करेगी, चाहे वह स्थायी न्यायाधीश हों या अतिरिक्त न्यायाधीश.
ग्रेच्युटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से कहा कि अगर हाई कोर्ट के किसी जज की मृत्यु सेवा के दौरान होती है, तो भारत सरकार उनकी विधवा या परिवार के सदस्यों को ग्रेच्युटी का भुगतान करेगी. इसमें सेवा की अवधि को जोड़ा जाएगा, चाहे ग्रेच्युटी की न्यूनतम योग्यता अवधि पूरी हुई हो या नहीं.
हाई कोर्ट के जजों को हाई कोर्ट जज (वेतन और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के अनुसार सभी भत्ते मिलेंगे, जिसमें अवकाश नकदीकरण (Leave Encashment), पेंशन का कम्यूटेशन और भविष्य निधि भी शामिल है.
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जजों की याचिका पर स्वत: संज्ञान लिया था. इसमें हाई कोर्ट के पूर्व जजों द्वारा दायर कुछ रिट याचिकाओं पर भी विचार किया गया था.