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फैसला कब सुनाया गया और कब जजमेंट अपलोड किया? Supreme Court ने हाई कोर्ट से फैसलों का डिटेल्ड ब्योरा मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को पिछले वर्ष से अब तक के फैसलों का ब्योरा मांगा है जिसमें फैसले सुनाए गए और अपलोड किए गए तारीखों का उल्लेख होना चाहिए.

Supreme Court, HC

Written by Satyam Kumar |Published : May 23, 2025 2:33 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने समय पर फैसले अपलोड न किए जाने की शिकायतों के मद्देनजर बृहस्पतिवार को सभी हाई कोर्ट से पिछले वर्ष से अब तक के उन मामलों का ब्योरा देने को कहा जिनमें फैसले सुनाए गए और यह भी बताने को कहा कि किस तारीख को फैसले ऑनलाइन अपलोड किये गए.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने ऐसे मामलों पर संज्ञान लिया जिनमें आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद कई वर्षों से फैसले नहीं सुनाए गए हैं. पीठ ने निर्देश दिया कि सभी उच्च न्यायालय 21 जुलाई से पहले आंकड़े प्रस्तुत करें. पीठ ने निर्देश दिया कि 13 मई, 2025 के हमारे आदेश के क्रम में, सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एक अतिरिक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है, जिसमें एक जनवरी, 2024 के बाद निर्णय सुनाए जाने की तारीखों और ऐसे निर्णयों को अपलोड किए जाने की तारीखों का पूरा विवरण दिया गया हो. आगामी 31 मई, 2025 तक की यह जानकारी निर्धारित तिथि यानी 21 जुलाई, 2025 से पहले प्रस्तुत की जानी चाहिए. पीठ ने रजिस्ट्री को हाई कोर्ट से आंकड़े एकत्र करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी.

पिछली सुनवाई में, आजीवन कारावास की सजा काट रहे चार दोषियों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि झारखंड हाई कोर्ट ने 2022 में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर आदेश सुरक्षित रखा है, लेकिन फैसला नहीं सुनाया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उनकी याचिका पर विचार करने पर सहमति जताते हुए हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से उन सभी मामलों के संबंध में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी है जिनमें फैसला सुरक्षित रखा गया था लेकिन दो महीने से अधिक समय तक फैसला नहीं सुनाया गया.

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आज सुनवाई के दौरान पीठ के सामने झारखंड हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा दी गई रिपोर्ट लाई गई. इस रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 तक डिवीजन बेंच द्वारा सुने गए 56 आपराधिक अपील और सिंगल जज के समक्ष सुनी गई 11 आपराधिक अपीलों पर जजमेंट सुरक्षित रखने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया गया. कुल मिलाकर 67 मामले लंबित है.