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'नाबालिग का ब्रेस्ट पकड़ना Attempt to Rape नहीं', इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बताया 'असंवेदनशील'

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाबालिग बच्चे के ब्रेस्ट पकड़ना और पजामे की नाड़े को खींचना बलात्कार का प्रयास मानने से इंकार किया था, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया है.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : March 26, 2025 11:09 AM IST

अब सुप्रीम कोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान में लिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले में जिसमें उच्च न्यायालय ने नाबालिग बच्चे के ब्रेस्ट पकड़ना और पजामे की नाड़े को खींचना बलात्कार का प्रयास नहीं माना गया था. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जॉर्ज ऑगस्टीन मसीह की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि एक बच्चे के शोषण के मामले में कुछ कार्यों को बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के रूप में नहीं माना जा सकता.

कोर्टरूम आर्गुमेंट

जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस फैसले को लेकर सख़्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हाई कोर्ट का फैसला जज की असवेंदनशीलता और अमानवीय रुख को दर्शाता है. उन्होंने यह फैसला जल्दबाज़ी में नहीं दिया. सुनवाई पूरी होने के बाद चार महीने तक फैसला सुरक्षित रखने के बाद यह फैसला दिया गया है. इस फैसले में की गई टिप्पणियां क़ानूनी सिद्धांतों के खिलाफ है और अमानवीय रुख को दर्शाती है. लिहाजा हम इसके विवादित हिस्सों पर रोक लगाते है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, यूपी सरकार और हाई कोर्ट में इस मामले में पक्षकार को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने अटॉनी जनरल और सॉलिसीटर जनरल को इस मामले में सहयोग करने को कहा है.

Attempt to Rape,POCSO का मामला नहीं: HC

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक कि केवल यह तथ्य कि अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी पवन और आकाश ने पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार किया और आकाश ने उसकी पैंट की डोरी तोड़ी, इस बात के लिए पर्याप्त नहीं है कि उन पर IPC की धारा 376, 511 या POCSO अधिनियम की धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया जाए. अदालत ने कहा कि इस कार्यों से यौन हमले के प्रयास का आरोप स्थापित नहीं होता है. हलांकि अदालत ने कहा कि आरोपियों पवन और आकाश को IPC की धारा 354(b) (किसी महिला को नग्न करने का प्रयास करने का अपराध) के तहत बुलाने के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, जिसमें किसी महिला के साथ बलात्कारी आचरण या उसे नग्न करने के उद्देश्य से हमला किए जाने का अपराध का आचरण है.

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हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड पर रखे सामग्री को देखते हुए कहा कि शिकायतकर्ता और पीड़िता के बयान से यह साफ है कि आरोपी पवन ने पीड़िता को अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया. घटना के समय, जब शिकायतकर्ता महिला अपनी बेटी के साथ जा रही थी, तब पवन और आकाश ने उसे घर पर छोड़ने का आश्वासन दिया और मोटरसाइकिल को नाले के पास रोक दिया. यहां पर, पवन ने पीड़िता के स्तन को पकड़ लिया और आकाश ने उसे नाले के नीचे खींचने का प्रयास किया और उसकी पजामी का डोरी तोड़ दिया. जब पीड़िता ने चिल्लाना शुरू किया, तो गवाह सतीश और भूरा ट्रैक्टर पर आ रहे थे, हल्ला सुनकर वहां पर आए और उन्होंने आरोपियों को चुनौती दी. आरोपियों ने गवाहों को जान से मारने की धमकी दी और उन पर देशी पिस्तौल तान दी.

हाई कोर्ट ने आगे कहा,

"आरोपी पवन के पिता अशोक के खिलाफ आरोप है कि जब शिकायतकर्ता ने घटना के बाद उसके घर संपर्क किया, तो उसने उसे गाली दी और धमकी दी. इस कारण से अशोक को केवल धारा 504 और 506 IPC के तहत चार्ज करने के लिए समन किया गया है. हालांकि, अशोक पर छेड़छाड़ या बलात्कार के प्रयास का कोई आरोप नहीं है. गवाहों के बयान में यह भी नहीं कहा गया है कि आरोपी आकाश ने पीड़िता की पजामी का डोरी तोड़ने के बाद खुद को असामान्य स्थिति में मिला. आरोपी आकाश पर आरोप है कि उसने पीड़िता को नाड़े को खींचने का प्रयास किया, लेकिन गवाहों ने यह नहीं कहा कि इसके कारण पीड़िता नग्न हो गई या उसके कपड़े उतारे."

हाई कोर्ट ने आरोपियों को आंशिक राहत देते हुए कहा कि आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य बलात्कार के प्रयास के अपराध को आकर्षित नहीं कर रहे हैं. बलात्कार के प्रयास के आरोप को स्थापित करने के लिए, अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि यह तैयारी के चरण से आगे बढ़ चुका है. तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से अधिक निश्चितता में निहित है.

क्या है मामला?

यह मामला 12 जनवरी 2022 को विशेष न्यायाधीश, POCSO के समक्ष पेश किया गया था. शिकायतकर्ता आशा देवी ने आरोप लगाया कि 10 नवंबर 2021 को, वह अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ अपनी ननद के घर से लौट रही थी. इस दौरान पवन, आकाश और अशोक (मामले के आरोपी) ने उसे रास्ते में रोका. पवन ने आशा की बेटी को बाइक पर लिफ्ट देकर घर छोड़ने की बात कही. आशा देवी ने उसकी बात पर भरोसा करते हुए अपनी बेटी को उसके साथ भेज दिया, लेकिन आरोपी ने रास्ते में उनकी बेटी के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया. आरोपियों ने सड़क पर अपनी बाइक रोकी और आशा की बेटी के साथ छेड़खानी की. आकाश ने उसे खींचकर नहर के नीचे ले जाने की कोशिश की. इस दौरान, पास से गुजर रहे सतीश और भुरी (मामले में गवाह) ने जब चीखें सुनीं, तो वे मौके पर पहुंचे. आरोपियों ने गवाहों को देशी पिस्तौल दिखाकर जान से मारने की धमकी देकर वहां से भाग गए.

अब आशा देवी ने पवन के घर जाकर शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन उसके पिता ने उसे गालियां दीं और धमकाया. इस पीड़िता की मां आशा देवी ने अगले दिन पुलिस स्टेशन जाकर FIR दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन कथित तौर पर कहा कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद 21 मार्च 2022 को, निचली अदालत ने शिकायत को दर्ज किया गया और आरोपियों को समन किया. वहीं, आरोपियों ने इस समन के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका (Revision Plea) दायर की. आज हाई कोर्ट ने उन्हें आंशिक तौर पर राहत दी है.