नई दिल्ली: नई दिल्ली के एक बड़े अस्पताल, सर गंगा राम अस्पताल की एक घटना काफी चर्चा में है जहां इलाज कराने आए एक मरीज ने डॉक्टर को ही चाकू मार दिया। बता दें कि यह पहली घटना नहीं है जब किसी शख्स ने एक डॉक्टर या अन्य किसी मेडिकल प्रोफेशनल पर हमला किया हो। वैसे तो इसके खिलाफ कोई अलग से कानून नहीं है लेकिन आईपीसी के तहत यह दंडनीय है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विधायिका ने इस मुद्दे पर, मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा हेतु कदम तो बढ़ाया था लेकिन फिलहाल उनकी कोशिश पूरी तरह से सफल नहीं हुई है। हाल ही में हुई घटना क्या थी और विधायिका की कोशिश क्या है, आइए जानते हैं..
एक चौंकाने वाली घटना में, यहां सर गंगा राम अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर पर नियमित परामर्श के दौरान उनके एक मरीज ने चाकू से हमला कर दिया। एक पुलिस अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार अधिकारी ने कहा कि आरोपी की पहचान 21 वर्षीय बिहार निवासी राजकुमार के रूप में हुई है, जिसका 2021 से वरिष्ठ न्यूरो और स्पाइन सर्जन डॉ. सतनाम छाबड़ा से इलाज चल रहा था।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को एक परामर्श के दौरान राजकुमार "अचानक क्रोधित हो गया और एक छोटे चाकू से डॉक्टर पर हमला करने की कोशिश की, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर फलों को छीलने के लिए किया जाता है"।
मौके पर मौजूद अस्पताल के कर्मचारियों ने उसे पकड़ लिया और पुलिस को सूचित किया गया।
"सूचना मिलने पर पुलिस की एक टीम तुरंत अस्पताल पहुंची और कथित व्यक्ति को हिरासत में ले लिया।" हमले में डॉ. छाबड़ा के अंगूठे पर मामूली चोट लगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2018 में लोक सभा (Lok Sabha) में एक विधेयक जारी प्रस्तावित गया लेकिन यह अब तक पारित नहीं हो पाया है। इसका नाम 'डॉक्टरों, चिकित्सा पेशेवर और चिकित्सा संस्थानों के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम विधायिका, 2018' (The Prevention of Violence against Doctors, Medical Professionals and Medical Institutions Bill, 2018) है।
यह विधेयक स्पष्ट करता है कि इसके तहत किया गया अपराध एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) होगा जो गैर-जमानती (Non-Bailable) होगा और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय द्वारा सुना जाएगा।
किसी भी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल के साथ की गई हिंसा या अपराध के लिए जेल की सजा सुनाई जाएगी जिसकी अवधि छह महीने से पांच साल के बीच की होगी; इस अपराध में आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा जो कम से कम पांच हजार रुपये होगा और इसकी कीमत बढ़कर पांच लाख रुपये की जा सकती है।