नई दिल्ली: देश की जेलों में आज कई तरह के अपराधी अलग- अलग अपराधों के लिए सजा काट रहे हैं. उन्ही में से कुछ अपराधी ऐसे भी हैं जिन्हे अदालत ने फांसी की सजा से दंडित किया होता है. हमारे देश में फांसी की सजा दुर्लभतम से भी दुर्लभ मामलों में दी जाती है, इसलिए जब किसी को ये सजा सुनाई जाती है तो लोगों में एक चर्चा का विषय बन जाती की है.
लोग ये जानना चाहते हैं कि ऐसे कैदियों को फांसी से पहले कहां रखा जाता है, उनके लिए क्या नियम होते हैं. जानते हैं कि जिन कैदियों को मौत की सजा दी जाती है उन्हे कंहा और कैसे रखा जाता है.
आपको बता दें कि कारागार अधिनियम, 1894 में जेल से जुड़े कई प्रावधान किए गए हैं. इस अधिनियम की धारा 30 में मौत की सजा पाए कैदी को रखने के क्या नियम हैं उसके बारे में प्रावधान किया गया है.
हमारे देश में कानून के द्वारा अपराधियों को सुधारने की ओर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, लेकिन बेहद गंभीर और संवेदनशील अपराध जिनसे की पुरे समाज की सुरक्षा और मानसिकता प्रभावित होती है, ऐसे कई मामलों में कानून रियायत नहीं देती है.
कानून द्वारा जघन्य अपराधों में दोषी को फांसी की सजी सुनाई जाती है. जिसके तहत फांसी घर में दोषी को फंदे से लटका दिया जाता है. पुराने जमाने में भी अपराधियों को दंड देने के लिये फांसी की सजा दी जाती थी.
वैसे तो फांसी का तरीका सदियों पुराना है, लेकिन आधुनिक इतिहास में फांसी के जरिए मौत की सजा देने का नया तरीका ब्रिटेन के विलियम मारवुड ने खोजा था. इन्होंने ही लीवर के जरिए फांसी पर लटकाने का तरीका निकाला था. द कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (1898) में फांसी से लटका कर मृत्युदंड देने का प्रावधान है. यही प्रावधान कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (1973) में भी अपनाया गया.
हर कैदी के लिए जेल में अलग- अलग नियम होते हैं क्योंकि उनके अपराध भिन्न होते हैं. धारा 30 को दो उप-धाराओं में विभाजित किया है जो इस तरह हैं;
उपधारा-1. इसके अनुसार, जिस कैदी के लिए मौत की सजा अदालत तय कर देगी उन्हे सबसे पहले जेल लाया जाएगा. जेल आने तुरंत बाद मौत की सजा के तहत प्रत्येक कैदी की जेलर द्वारा या उसके आदेश से तलाशी ली जाएगी. तलाशी के दौरान अगर इस तरह के कैदी के पास से कुछ ऐसी वस्तुएं बरामद होती हैं जिसे जेलर के द्वारा खतरनाक या अनुचित माना जाता है उन्हे जेलर के द्वारा अपने कब्जे में लिया जाएगा.
उपधारा-2. आपने अखबारों में या टेलीविजन चैनलों पर देखा होगा की जब किसी को फांसी की सजा सुनाई जाती है तो उन्हे बाकी कैदियों से अलग रखा जाता है. यही प्रावधान किया गया है उपधारा दो के तहत जिसके अनुसार ऐसे प्रत्येक कैदी को अन्य सभी कैदियों से अलग एक कोठरी में कैद किया जाएगा, और दिन और रात में एक गार्ड के प्रभार में रखा जाएगा.
2012 के दिल्ली के निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के दोषियों को भी फांसी की सजा दी गई थी. 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को भी 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई.