नई दिल्ली: व्यापार एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें नाम और पैसा तो है ही साथ में विवाद से भी दो चार होना पड़ता है. अगर आप एक व्यापारी है तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि व्यापार से संबंधित विवाद को कानूनी रूप से कौन सुलझाता है.
शायद ही ऐसा कोई सेक्टर होगा जहां पर किसी तरह का कोई लड़ाई, झगड़ा या विवाद ना हो. हर फील्ड के लिए कानूनी निकाय है. हमारे देश में रियल एस्टेट बिल्डर-होम ब्यूरो से जुड़े विवादों को सुलझाने में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal-NCLT) अहम भूमिका निभाती है.
यह एक अर्ध-न्यायिक निकाय है, विशेष रूप से भारत में कंपनियों और कॉरपोरेट्स से संबंधित विवादों और मुद्दों को सुलझाने का यह काम करते हैं. वर्ष 2016 में इसका गठन किया गया था.
केंद्र सरकार ने 01 जून 2016 से कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 408 के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) का गठन किया .
NCLT देश के कंपनी अधिनियम द्वारा दी गई शक्तियों के तहत कार्य करता है.
1. कंपनियों के पंजीकरण और निगमन के दौरान, एनसीएलटी वैधता पर सवाल उठा सकता है. यहां तक की यह कंपनी का रजिस्ट्रेशन रद्द भी कर सकता है.
2.यह शेयरों और प्रतिभूतियों को स्थानांतरित करने में कंपनियों की अस्वीकृति की शिकायतों को सुनता है.
3. डिपॉजिट के उपाय के लिए एक जमाकर्ता किसी भी मुद्दे के मामले में एनसीएलटी के पास जा सकता है.
4. एनसीएलटी के पास इतनी शक्तियां हैं कि वह जांच का आदेश दे सकता है.
5. वो अगर चाहे तो कंपनी की संपत्ति को फ्रीज भी कर सकते हैं.
6.यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड में भी बदल सकता है.
यह इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 के तहत कंपनियों और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप्स (एलएलपी) की इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी की कार्यवाही के लिए सहायक प्राधिकरण भी है.
चूंकि एनसीएलटी कंपनियों से संबंधित मामलों को देखता है, इसलिए मामलों की सुनवाई के लिए नियमित रूप से 'एनसीएलटी वाद सूची' जारी करता है. यह वाद सूची और कुछ नहीं बल्कि किसी विशेष दिन सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई का कार्यक्रम है. यह सुनवाई एनसीएलटी वाद सूची में दिए गए आदेश के अनुसार आयोजित की जाती है.
इस सूची में सीरियल नंबर, सीपी नंबर, सीए/आईए नंबर, उद्देश्य, धारा/नियम, पार्टियों का नाम, याचिकाकर्ता/आवेदक के वकील का नाम, प्रतिवादी के वकील का नाम, का नाम जैसे क्षेत्र शामिल होता है.