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'हमें आदेश देने वाला HC कौन होता है', NCLAT के जज और वकील में छिड़ी बहस

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के जज ने उच्च न्यायालयो के अधिकारों का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट किसी विषय पर अधिक से अधिक हमसे आग्रह कर सकता है.

सांकेतिक चित्र

Written by Satyam Kumar |Published : July 25, 2024 5:20 PM IST

National Company Law Appellete Tribunal: हाल ही में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के जज वकील के दलीलों के से भड़क गए. वकील ने एक मामले को प्राथमिकता से सुनने की मांग की. वकील ने हाईकोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए जज से कहा कि उन्हें संबंधित मामले की सुनवाई को त्वरिता दिखानी चाहिए. हाईकोर्ट ने ऐसा करने को कहा है. वकील की दलील सुनने के बाद तो जज भड़कते हुए कहा कि वे मामलों की सुनवाई को निर्धारित करने के आदेश देने वाले कौन होते हैं.

वाक्या 23 जुलाई के दिन का है. NCLAT चेन्नई की एक बेंच जिसकी अगुवाई जस्टिस शरद शर्मा की पीठ सुनवाई के लिए बैठी थी. इस दौरान वकील ने मामले को सूचीबद्ध करने के लिए की बात कहीं, उसने जोर देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने उसके मामले को पहले लिस्ट करने के निर्देश दिए हैं.

जब वकील ने अपनी मांग को लेकर जिद जारी रखा तब जज ने उकताकर कहा कि वे कौन होते हैं हमें आदेश देने वाले

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जज ने कहा,

"ये बताने वाला हाईकोर्ट कौन होता है कि किसी मामले को कब लिस्ट करना है? NCLAT को निर्देश देने का काम हाईकोर्ट का कैसे है?"

जस्टिस ने आगे कहा,

"मैं भी वहीं से आया हूं. NCLAT, हाईकोर्ट से स्वतंत्र अपीलीय न्यायाधिकरण है. और जहां तक मेरा अनुभव है हाईकोर्ट केवल किसी मामले को सूचीबद्ध करने को लेकर अनुरोध कर सकता है. NCLAT को आदेश या निर्देश नहीं दे सकता."

जस्टिस शर्मा NCLAT में सेवा ग्रहण करने से पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर कार्यरत थे. दिसंबर 2023 में उनके रिटायरमेंट से पहले अगस्त 2018 में उन्हें परमानेंट जज बनें थे. इस साल जनवरी में उन्हें NCLAT चेन्नई का ज्यूडिशियल मेंबर बनाया गया है.

NCLAT क्या होता है?

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल(CLAT)कंपनियों के दिवालिया या प्रबंधन से जुड़े मामले की सुनवाई करती है. NCLAT में NCLT से बड़ी संस्था है, NCLT के फैसले को NCLAT में चुनौती दी जा सकती है. NCLAT के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.