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NCLAT से जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज को बड़ी राहत, IDBI बैंक के दिवालिया घोषित करने की मांग खारिज

NCLAT का यह फैसला IBC, 2016 की धारा 10A के प्रावधानों से संबंधित है, जो कोविड-19 महामारी के कारण एक वर्ष की अवधि के लिए दिवालियापन संबंधी कार्रवाई पर रोक लगाता था. IDBI Bank ने ZEEL के खिलाफ इसी दौरान दिवालिया याचिका दायर किया था.

Written by Satyam Kumar |Published : April 7, 2025 1:17 PM IST

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) से बड़ी राहत मिली है. ट्रिब्यूनल ने ZEEL के खिलाफ दायर दिवालिया याचिका को खारिज किया है. फैसले में अपीलीय ट्रिब्यूनल ने कहा कि IDBI Bank द्वारा दायर की गई याचिका कोविड-19 के संरक्षित अवधि में हुई चूक के चलते दायर की गई थी, इसलिए इसे स्वीकार योग्य नहीं माना जा सकता है. आईडीबीआई बैंक ने जी मिडिया इंटरटेनमेंट लिमिटेड (ZEEL) के खिलाफ दिवाला याचिका दायर कर मांग किया कि ZEEL ने सीटीआई नेटवर्क्स लिमिटेड को दी गई वर्किंग कैपिटल सुविधाओं के लिए ऋण सेवा आरक्षित खाते (डीएसआरए) के रखरखाव की गारंटी का उल्लंघन किया है और 61.97 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रहा.

IBDL की अपील खारिज

एनसीएलटी (NCLAT) ने आईडीबीआई बैंक की याचिका खारिज करते हुए कहा कि कथित चूक आईबीसी की धारा 10ए के तहत संरक्षित अवधि के अंतर्गत आती थी. एनसीएलटी ने पाया कि ZEEL की देयता केवल मूल 50 करोड़ रुपये की सुविधा पर दो तिमाहियों के ब्याज के रखरखाव तक सीमित थी, न कि पूरी बकाया राशि तक. इसके अलावा, मांग नोटिस मार्च 2021 में जारी किया गया था, जो कोविड-19 के कारण दिवाला प्रक्रिया पर लगाई गई रोक के दौरान था. हालांकि, अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा है कि आईडीबीआई बैंक आईबीसी की धारा 10ए में निर्धारित अवधि से परे चूकों के लिए एक नई दिवाला याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र है.

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद 3 अगस्त 2012 के एक गारंटी समझौते से उत्पन्न हुआ, जिसके तहत, ZEEL ने आईडीबीआई बैंक द्वारा सिटी नेटवर्क्स लिमिटेड को दी गई कार्यशील पूंजी सुविधाओं के लिए एक ऋण सेवा रिजर्व खाता (DSRA) बनाए रखने की गारंटी दी थी. जबकि मुख्य उधारकर्ता का खाता दिसंबर 2019 में गैर-निष्पादित संपत्ति (NPA- Non Profitable Asset) बन गया था.

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ZEEL ने तर्क किया कि उसकी जिम्मेदारी केवल मूल ₹50 करोड़ की सुविधा पर ब्याज भुगतान तक सीमित थी और यह बढ़ी हुई सीमाओं या मूलधन राशियों पर लागू नहीं होती. कंपनी ने यह भी कहा कि फरवरी 2021 में पूरी सुविधा को वापस ले लिया गया था, जिससे किसी भी चल रही DSRA रखरखाव की जिम्मेदारी समाप्त हो गईं.

आईडीबीआई बैंक ने बाद में ZEEL के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में याचिका दायर की. मई 2023 में, NCLT मुंबई ने ZEEL के खिलाफ आईडीबीआई बैंक की दिवालियापन याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आरोपित डिफॉल्ट IBC की धारा 10A के तहत संरक्षित अवधि में आता है. ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि ZEEL की गारंटी समझौते के तहत जिम्मेदारी केवल मूल स्वीकृत सीमा ₹50 करोड़ पर दो तिमाहियों के ब्याज को बनाए रखने तक सीमित थी, न कि पूरी बकाया राशि पर.

NCLT ने यह निर्णय लिया कि डिफॉल्ट तब हुआ जब बैंक ने 5 मार्च 2021 को अपनी मांग नोटिस जारी किया, जो कि कोविड-19 मोरेटोरियम अवधि ( वह समय होता है जब उधारकर्ता को लोन की किस्तें चुकाने की ज़रूरत नहीं होती) के दौरान था. इस अवधि में दिवालियापन याचिकाएं दायर करने पर प्रतिबंध था. ट्रिब्यूनल ने गारंटी समझौते और स्वीकृति पत्रों की शर्तों की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि ZEEL की जिम्मेदारी वास्तव में प्रारंभिक ₹50 करोड़ की एक्सपोजर तक सीमित थी.