Indian Cyber Crime Coordination Centre (I4C): बीते कल देश ने साइबर अपराध समन्वय केन्द्र का पहला स्थापना दिवस मनाया है. आई4सी को लेकर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. I4C की स्थापना दिवस के मौके पर गृहमंत्री ने देश में साइबर अपराध को रोकने के लिए चार इनिशिएटिव शुरू किए, जो देश में साइबर अपराध की समस्या से लड़ने में सहायता करेगी. गृहमंत्री अमित शाह ने साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (CFMC), समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली), साइबर कमांडो' कार्यक्रम और सस्पेक्ट रजिस्ट्री का उद्घाटन करते हुए कहा कि साइबर सुरक्षा केवल डिजिटल दुनिया तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है. एक सुरक्षित देश होने के लिए साइबर स्पेश का सुरक्षित होना बेहद जरूरी है. आइये जानते हैं कि साइबर अपराध समन्वय केन्द्र क्या है? और ये कैसे काम करती है?
आगे बढ़ने से पहले आपको बताते चलें कि साइबर अपराध क्या होता है? साइबर अपराध ऐसे अपराध हैं जो कंप्यूटर, इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी के सहारे लोगों के साथ ठगी किया जाता है. साइबर अपराधी सोशल नेटवर्किंग साइटों, ईमेल, चैट व नकली सॉफ्टवेयर, वेबसाइट के जरिए लोगों का अपना शिकार बनाते हैं.
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) केन्द्रीय गृह मंत्रालय एक पहल है. इसका उद्देश्य साइबर अपराध पर रोक लगाना है. इसका उद्देश्य आम लोगों, जांच एजेंसियों,बैंकों और शेयरधारकों के बीच में साइबर अपराध को लेकर समन्वय स्थापित करना है. साइबर अपराध मामले में सबसे बड़ी चुनौती लोगों को इसके बारे में जागरूक करना है. I4C का काम लोगों को आसानी से साइबर क्राइम दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करना, देश भर में हो रहे साइबर क्राइम की की जानकारी इकट्ठा करना और साइबर क्राइम की मुख्य केन्द्र की मुख्य निभाते हुए साइबर अपराध की ट्रेंड और पैटर्न की पहचान करने में जांच एजेंसियों की मदद करना है.
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (CFMC), समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली), साइबर कमांडो' कार्यक्रम और सस्पेक्ट रजिस्ट्री का उद्घाटन किया है, जो देश I4C को बेहद मजबूत बनाएगी. आइये जानते हैं कि ये चारों क्या करेंगी
साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (CMFC): प्रमुख बैंक, वित्तीय मध्यस्थों, पेमेंट एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEA) के प्रतिनिधियों के साथ नई दिल्ली में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14सी) में सीएफएमसी की स्थापना की गई है. वे ऑनलाइन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे.
कोआर्डिनेशन प्लेटफॉर्म (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली): यह प्लेटफॉर्म एक वेब-आधारित मॉड्यूल है जो देश भर में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए साइबर अपराध, डेटा साझाकरण, क्राइम मैपिंग, डेटा एनालिसिस, सहयोग और समन्वय मंच के डेटा स्टोर करने के लिए वन स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करेगा.
साइबर कमांडो कार्यक्रम: इस कार्यक्रम के तहत देश में साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटने के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय पुलिस संगठनों (CoP) में प्रशिक्षित 'साइबर कमांडो' की एक विशेष शाखा स्थापित की जाएगी। प्रशिक्षित साइबर कमांडो डिजिटल स्पेस को सुरक्षित करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसियों की सहायता करेंगे.
सस्पेक्ट रजिस्ट्री: इस पहल के हिस्से के रूप में वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र की धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के सहयोग से राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आधार पर विभिन्न पहचानकर्ताओं की एक सस्पेक्ट रजिस्ट्री बनाई जा रही है.
साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर: 1930 पर आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकतें है.