नई दिल्ली: नई दिल्ली: दुनिया में ऐसे कई सारे लोग हैं जो बच्चा पैदा नहीं कर सकते हैं लेकिन फिर भी नहीं चाहते हैं कि उनकी गोद सूनी रह जाए; मेडिकल साइंस ने बहुत विकास कर लिया है और ऐसी कई प्रक्रियाएं आ गई हैं जिनसे एक कपल माता-पिता बनने की और अपने गोद में बच्चा खिलाने की आस को पूरा कर सकते हैं; इनमें सरोगेसी (Surrogacy) भी शामिल है, जिससे बिना कन्सीव किए भी दंपत्ति माता-पिता बन सकते हैं।
सरोगेसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है- 'परोपकारी सरोगेसी' (Altruistic Surrogacy) और 'व्यवसायिक सरोगेसी' (Commercial Surrogacy)। इन दोनों में मूल अंतर क्या है और भारत में इनमें से किस प्रकार की सरोगेसी अवैध या गैर-कानूनी मानी जाती है, इसको लेकर क्या कानूनी प्रावधान हैं, आइए सबकुछ जानते हैं.
भारत में Surrogacy लीगल है? जानें क्या कहता है Surrogacy (Regulation) Act, 2021
सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब एक महिला अपने गर्भ में बच्चा नहीं पाल सकती है। इस प्रक्रिया के तहत एक कपल के बच्चे को एक दूसरी महिला अपने गर्भ में नौ महीने तक पालती है और उसे जन्म देती है; सरोगेट मदर का बच्चे पर कोई अधिकार नहीं होता है, बच्चा दंपत्ति का होता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में सरोगेसी को लेकर 'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' (The Surrogacy Regulation Act, 2021) है जिसकी धारा 2(b) में 'परोपकारी सरोगेसी' (Altruistic Surrogacy) और धारा 2(g) में 'व्यवसायिक सरोगेसी' (Commercial Surrogacy) को परिभाषित किया गया है। देश में 'परोपकारी सरगेसी' तो कानूनी है लेकिन 'व्यवसायिक सरोगेसी' को कानूनी मान्यता नहीं मिली है।
'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' की धारा 2(g) के तहत 'व्यवसायिक सरोगेसी' वो है जिसमे सरोगेट मदर (Surrogate Mother) को चिकित्सा व्यय, बीमा कवरेज और अन्य नरिधारित खर्च के साथ-साथ किसी अन्य तरह का आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जाता है; यह कह सकते हैं कि इस प्रकार की सरोगेसी इस प्रक्रिया का व्यवसायीकरण है जो आर्थिक फ़ायदों के लिए किया जाता है।
आपको बता दें कि भारत में कमर्शियल सरोगेसी मना है, इसपर सम्पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है और कानूनी तौर पर इसे अवैध माना जाता है। भारत में, 'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' के तहत व्यवसायिक सरोगेसी एक दंडनीय अपराध हो।
इस अधिनियम के तहत कोई भी दंपत्ति अगर व्यवसायिक सरोगेसी के जरिए एक बच्चे का अपने परिवार में स्वागत करते हैं, तो उन्हें 50 हजार रुपये तक का आर्थिक जुर्माना भरना पड़ सकता है और उन्हें पांच साल की जेल की सजा भी सुनाई जा सकती है। अगर यही अपराध बार-बार दोहराया जाता है तो एक लाख रुपये तक का आर्थिक जुर्माना हो सकता है और जेल की सजा की अवधि दस साल तक की हो सकती है।
कोई भी व्यक्ति, ससंथा या क्लिनिक अगर एक सरोगेट मदर या सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे के शोषण में शामिल पाया जाता है, उसे दस साल तक की जेल की सजा हो सकती है और साथ ही दस लाख रुपये तक का आर्थिक जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।