शत्रु संपत्ति को लेकर देश में बहस छिड़ी हुई है. देश में शत्रु संपत्ति कहना थोड़ा अटपटा लग सकता है, आप ये ना सोंचे कि ये विदेश की संपत्ति है या भारत-चीन के साथ सीमा विवाद से जुड़ी कोई जमीन बल्कि ये जमीन है भारत में ही है, और भौगोलिक सीमा के बहुत अंदर भी है. शत्रु संपत्ति, उन लोगों की संपत्ति को कहा जाता है जो साल 1947 से 1962 तक पाकिस्तान और बंग्लादेश चले गए थे, जमीन वो साथ नहीं ले सकते थे, उनकी छोड़ी गई जमीन को शत्रु संपत्ति कहा जाता है.
हाल ही में केन्द्र सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शत्रु संपत्ति के निस्तारण को लेकर बने दिशानिर्देशों में संशोधन किया है. (यहां निस्तारण का हक सरकार की ओर से शत्रु संपत्ति को बेचने से है, थोड़ा सटीकता के साथ कहें तो जमीन का मालिकाना ट्रांसफर से है). जारी अधिसूचना में कहा गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में शत्रु संपत्ति का मूल्य 1 करोड़ रूपये से कम और शहरी क्षेत्रों में पांच करोड़ रूपये के मूल्य से कम होगा. साथ ही जमीन के निस्तारण से पहले जमीन के संरक्षक को इस बात की जानकारी देनी होगी. यहां जिज्ञासा उठती है कि शत्रु सम्पत्ति है क्या और इसकी नीलामी की प्रक्रिया कानून के किन प्राविधान के तहत की जाती है.
भारत में शत्रु संपत्ति (चल और अचल दोनों प्रकार की सम्पत्ति) के अंतर्गत ऐसे लोगों की सम्पत्तियों को रखा गया है जो देश के विभाजन के समय या फिर 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद चीन या पाकिस्तान में जाकर बस गए और वहाँ की नागरिकता ले ली थी. इस तरह के लोगों की सम्पत्तियों को सरकार देश के रक्षा अधिनियम, 1962 के तहत ज़ब्त कर सकती है और एक अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त कर सकती है.
आपको बता दें कि भारत - पाकिस्तान के बीच ताशकंद घोषणा (10 जनवरी, 1966) में एक खंड को शामिल किया गया जिसमें यह कहा गया था कि दोनों देश युद्ध के बाद कब्ज़े में ली गई संपत्ति और उसकी वापसी पर चर्चा करेंगे। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने वर्ष 1971 तक अपने देश में मौजूद सभी संपत्तियों का निपटारा कर लिया था.
आपको बता दे कि केंद्रीय राज्य मंत्री ने लोक में यह भी बताया कि नीलामी की प्रक्रिया शत्रु सम्पत्ति अधिनियम, 1968 (Enemy Property Act, 1968) और उसके नियमों तथा इस संबंध में जारी दिशानिर्देशों के तहत संचालित होती है जो की सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.
उन्होंने बताया कि इसमें शत्रु सम्पत्ति के निपटान के लिए मार्गदर्शन आदेश 2018, शत्रु शेयर के विक्रय के लिए प्रक्रिया, और क्रियाविधि आदेश 2019, अचल शत्रु संपत्ति के निपटान के लिए प्रक्रिया और क्रियाविधि आदेश 2020 और शत्रु सम्पत्ति के निपटान के लिए मार्गदर्शन संशोधन आदेश 2023 शामिल हैं.
उल्लेखनीय बात यह है की अधिकारियों के अनुसार, देश में कुल 12,611 प्रतिष्ठान हैं जिन्हें शत्रु सम्पत्ति कहा जाता है जिसका अनुमानित मूल्य 1 लाख करोड़ रूपये से अधिक है.
गौरतलब है की भारतीयों के लिए शत्रु सम्पत्ति के संरक्षक (सीईपीआई) के तहत कुल 12,611 प्रतिष्ठानों में से 12,485 पाकिस्तानी नागरिकों से संबंधित हैं जबकि 126 चीनी नागरिकों से जुड़े हैं.
सबसे अधिक शत्रु सम्पत्ति उत्तर प्रदेश (6255 सम्पत्ति) के पास है, इसके बाद शामिल हैं अन्य राज्य - पश्चिम बंगाल (4088 सम्पत्ति), दिल्ली (659 सम्पत्ति), गोवा (295 सम्पत्ति), महाराष्ट्र (208 सम्पत्ति), तेलंगाना (158 सम्पत्ति) और गुजरात (151 सम्पत्ति).
यहां बता दे की वर्ष 2017 में संसद ने शत्रु संपत्ति (संशोधन और सत्यापन) विधेयक, 2016 (The Enemy Property (Amendment and Validation) Bill, 2016) पारित किया, जिसमें शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 और सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत व्यवसायियों का निष्कासन) अधिनियम, 1971 में संशोधन किया गया.