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बच्ची के स्तन दबाने, पजामी के नाड़ा खींचने को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने Attempt to Rape मानने से क्यों किया इंकार

मामले में पीड़िता की मां ने दावा किया कि आरोपियों ने घर छोड़ने के बहाने उसकी बेटी के स्तन दबाएं और पजामें की नाड़ी को तोड़ा. शिकायत दर्ज करने के बाद पॉक्सो कोर्ट ने समन किया, जिसके बाद आरोपियों ने समन के खिलाफ हाई कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर की.

इलाहाबाद हाई कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : March 20, 2025 2:46 PM IST

आज इलाहाबाद हाई कोर्ट एक रिवीजन पिटीशन याचिका पर सुनवाई कर रहा था. हाई कोर्ट ने मामले के तथ्यों को देखते हुए कहा कि मामले में स्तन को दवाना, पजामे की नाड़े को खीचना और उसे सड़क से नीचे घसीट कर ले जाना, रेप के प्रयास के अपराध को आकर्षित नहीं करता है. इसके बाद हाई कोर्ट ने बताया कि अभियोजन पक्ष को यह साबिक करना पडे़गा कि तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से अधिक निश्चितता में निहित है. वहीं मामले में पीड़िता की मां ने दावा किया कि आरोपियों ने घर छोड़ने के बहाने उसकी बेटी के स्तन दबाएं और पजामें की नाड़ी को तोड़ा. शिकायत के बाद पॉक्सो कोर्ट ने समन किया, जिसके बाद आरोपियों ने समन के खिलाफ हाई कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर की. आइये जानते हैं कि पूरा मामला क्य़ा है और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपियों को आंशिक रूप से राहत क्यों दी...

क्या है मामला?

यह मामला 12 जनवरी 2022 को विशेष न्यायाधीश, POCSO के समक्ष पेश किया गया था. शिकायतकर्ता आशा देवी ने आरोप लगाया कि 10 नवंबर 2021 को, वह अपनी 14 वर्षीय बेटी के साथ अपनी ननद के घर से लौट रही थी. इस दौरान पवन, आकाश और अशोक (मामले के आरोपी) ने उसे रास्ते में रोका. पवन ने आशा की बेटी को बाइक पर लिफ्ट देकर घर छोड़ने की बात कही. आशा देवी ने उसकी बात पर भरोसा करते हुए अपनी बेटी को उसके साथ भेज दिया, लेकिन आरोपी ने रास्ते में उनकी बेटी के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया. आरोपियों ने सड़क पर अपनी बाइक रोकी और आशा की बेटी के साथ छेड़खानी की. आकाश ने उसे खींचकर नहर के नीचे ले जाने की कोशिश की. इस दौरान, पास से गुजर रहे सतीश और भुरी (मामले में गवाह) ने जब चीखें सुनीं, तो वे मौके पर पहुंचे. आरोपियों ने गवाहों को देशी पिस्तौल दिखाकर जान से मारने की धमकी देकर वहां से भाग गए.

अब आशा देवी ने पवन के घर जाकर शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन उसके पिता ने उसे गालियां दीं और धमकाया. इस पीड़िता की मां आशा देवी ने अगले दिन पुलिस स्टेशन जाकर FIR दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन कथित तौर पर कहा कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके बाद 21 मार्च 2022 को, निचली अदालत ने शिकायत को दर्ज किया गया और आरोपियों को समन किया. वहीं, आरोपियों ने इस समन के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका (Revision Plea) दायर की. आज हाई कोर्ट ने उन्हें आंशिक तौर पर राहत दी है.

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Attempt to Rape,POCSO का मामला नहीं: HC

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक कि केवल यह तथ्य कि अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी पवन और आकाश ने पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार किया और आकाश ने उसकी पैंट की डोरी तोड़ी, इस बात के लिए पर्याप्त नहीं है कि उन पर IPC की धारा 376, 511 या POCSO अधिनियम की धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया जाए. अदालत ने कहा कि इस कार्यों से यौन हमले के प्रयास का आरोप स्थापित नहीं होता है. हलांकि अदालत ने कहा कि आरोपियों पवन और आकाश को IPC की धारा 354(b) (किसी महिला को नग्न करने का प्रयास करने का अपराध) के तहत बुलाने के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, जिसमें किसी महिला के साथ बलात्कारी आचरण या उसे नग्न करने के उद्देश्य से हमला किए जाने का अपराध का आचरण है.

हाई कोर्ट ने रिकॉर्ड पर रखे सामग्री को देखते हुए कहा कि शिकायतकर्ता और पीड़िता के बयान से यह साफ है कि आरोपी पवन ने पीड़िता को अपनी मोटरसाइकिल पर बैठाया. घटना के समय, जब शिकायतकर्ता महिला अपनी बेटी के साथ जा रही थी, तब पवन और आकाश ने उसे घर पर छोड़ने का आश्वासन दिया और मोटरसाइकिल को नाले के पास रोक दिया. यहां पर, पवन ने पीड़िता के स्तन को पकड़ लिया और आकाश ने उसे नाले के नीचे खींचने का प्रयास किया और उसकी पजामी का डोरी तोड़ दिया. जब पीड़िता ने चिल्लाना शुरू किया, तो गवाह सतीश और भूरा ट्रैक्टर पर आ रहे थे, हल्ला सुनकर वहां पर आए और उन्होंने आरोपियों को चुनौती दी. आरोपियों ने गवाहों को जान से मारने की धमकी दी और उन पर देशी पिस्तौल तान दी.

हाई कोर्ट ने आगे कहा,

"आरोपी पवन के पिता अशोक के खिलाफ आरोप है कि जब शिकायतकर्ता ने घटना के बाद उसके घर संपर्क किया, तो उसने उसे गाली दी और धमकी दी. इस कारण से अशोक को केवल धारा 504 और 506 IPC के तहत चार्ज करने के लिए समन किया गया है. हालांकि, अशोक पर छेड़छाड़ या बलात्कार के प्रयास का कोई आरोप नहीं है. गवाहों के बयान में यह भी नहीं कहा गया है कि आरोपी आकाश ने पीड़िता की पजामी का डोरी तोड़ने के बाद खुद को असामान्य स्थिति में मिला. आरोपी आकाश पर आरोप है कि उसने पीड़िता को नाड़े को खींचने का प्रयास किया, लेकिन गवाहों ने यह नहीं कहा कि इसके कारण पीड़िता नग्न हो गई या उसके कपड़े उतारे."

हाई कोर्ट ने आरोपियों को आंशिक राहत देते हुए कहा कि आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य बलात्कार के प्रयास के अपराध को आकर्षित नहीं कर रहे हैं. बलात्कार के प्रयास के आरोप को स्थापित करने के लिए, अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि यह तैयारी के चरण से आगे बढ़ चुका है. तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से अधिक निश्चितता में निहित है.