शिमला नगरपालिका अदालत ने संजौली मस्जिद को अवैध घोषित करते हुए उसके पूर्ण विध्वंस का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि यह मस्जिद नगरपालिका के नियमों का उल्लंघन करती है. अदालत ने गौर किया कि भूमि के स्वामित्व और निर्माण अनुमति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था, साथ ही वक्फ बोर्ड मामले में आवश्यक दस्तावेज़ पेश करने में विफल रहा है. सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड के वकील ने दावा किया कि मस्जिद 1947 से पहले से मौजूद थी और मौजूदा संरचना पुरानी संरचना की जगह बनी है. इस पर अदालत ने सवाल किया कि अगर मस्जिद 1947 के बाद फिर से बनाई गई थी, तो वक्फ बोर्ड ने नगर निगम से आवश्यक अनुमति और नक्शा पास क्यों नहीं करया था. इसे लेकर वक्फ बोर्ड 2010 से चल रहे इस मुकदमे में ज़रूरी दस्तावेज पेश करने में विफल रहा.
शनिवार को शिमला कोर्ट ने मस्जिद के शेष दो निचले तल के विध्वंस का आदेश दिया. यह आदेश म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन कमिश्नर की कोर्ट में सुनवाई के बाद आया. स्थानीय निवासी के वकील जगत पाल ने ANI से बात करते हिए कहा कि इस फैसले ने कानून और उन निवासियों के अधिकारों को बरकरार रखा है. जगत पाल ने आगे बताया कि कोर्ट ने नगर निगम के नियमों के स्पष्ट उल्लंघन को पाया है. मिश्नर ने फैसले में कहा गया है कि यह नगर निगम के कानून का उल्लंघन है.
वकील ने कहा,
"आज इस मस्जिद को अवैध घोषित किया गया है. 15 वर्षों से वक्फ बोर्ड एक भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका है जो यह साबित करे कि यह भूमि वैध है."
वकील बीएस ठाकुर, जो वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने बताया कि कानूनी विवाद 2010 से चल रहा है. उन्होंने कहा कि यह मामला 2010 से चल रहा हैय वक्फ बोर्ड काफी बाद में आया. कोर्ट ने ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर को अवैध घोषित किया था, और इन्हें बिना अनुमति के पुनर्निर्मित किया गया था. वक्फ बोर्ड को शनिवार को मस्जिद की भूमि के स्वामित्व के दस्तावेज और वास्तु योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। हालांकि, वक्फ बोर्ड के वकील वैध दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रहे और अपनी रक्षा में कोई ठोस तर्क नहीं रख सके.
वकील ने दावा किया कि मस्जिद का अस्तित्व 1947 से पहले इस स्थल पर था और वर्तमान संरचना ने पुरानी को प्रतिस्थापित किया है. इस दावे के जवाब में, म्यूनिसिपल कोर्ट ने सवाल किया कि यदि मस्जिद 1947 के बाद पुनर्निर्मित की गई थी, तो वक्फ बोर्ड ने नगर निगम से आवश्यक अनुमतियां, जिसमें निर्माण योजनाएं शामिल हैं, क्यों नहीं मांगी. इश पर वक्फ के पास कोई जबाव नहीं था. अदालत ने मस्जिद को ध्वस्त करने का आदेश सुनाया.