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किरायेदार ने बेच दी Waqf की Property, दावे को लेकर Delhi HC में याचिका, नोटिस जारी

दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई इस याचिका में दावा किया गया है कि संपत्ति मस्जिद पराओ वाली की प्रबंधन समिति द्वारा मेसर्स दयाल सिंह इंदरजीत सिंह को पट्टे पर दी गई थी, जिसने कथित तौर पर इसे बेच दिया है.

Delhi HC

Written by Satyam Kumar |Published : May 1, 2025 6:32 PM IST

हाल ही में शाहदरा स्थित संपत्ति को बेचने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में दावा किया गया कि बेची गई संपत्ति वक्फ की है, जिसे मस्जिद पराओ वाली की प्रबंधन समिति द्वारा किराये पर दी गई थी. याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि संपत्ति लगभग 118 वर्ग गज की है और मेन बाबरपुर रोड, वेस्ट रोहताश नगर, शाहदरा तक फैली है. मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस, दिल्ली वक्फ बोर्ड से दो सप्ताह के भीतर जबाव देने को कहा है. अदालत ने किरायेदार को भी नोटिस जारी कर इन आरोपों पर अपना पक्ष रखने को कहा है. वहीं, सुनवाई के दौरान, दिल्ली पुलिस, MCD ने अदालत को आश्वासन दिया कि इस मामले में उचित कार्रवाई करेंगे. अब हाई कोर्ट इस मामले को 14 मई के दिन सुनेगी.

क्या है मामला?

यह याचिका वकील वजीह शफीक के माध्यम से मस्जिद पराओ वाली की प्रबंधन समिति द्वारा दायर की गई है. याचिकाकर्ता समिति ने अधिकारियों को मुख्य बाबरपुर रोड, पश्चिम रोहताश नगर, शाहदरा पर लगभग 118 वर्ग गज की अवैध बिक्री के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि विवादग्रस्त संपत्ति, जिसका आकार 118 वर्ग मीटर है, प्रबंधन समिति द्वारा मालिक दयाल सिंह के माध्यम से मेसर्स दयाल सिंह इंद्रजीत सिंह को पट्टे पर दी गई थी. वहीं, इस संपत्ति की अवैध बिक्री और खरीद के बारे में जानने पर, उन्होंने 13.01.2025 को व्यक्तिगत रूप से उनसे मिलकर शाहदरा के थाना प्रभारी (SHO) को इस तथ्य से अवगत कराया है. याचिकाकर्ता ने 14.01.2025 को दिल्ली वक्फ बोर्ड और SHO को लिखित शिकायत भी दी और 16.01.2025 को MCD को एक अभ्यावेदन दिया. हालांकि, आज तक इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. मस्जिद पराओ वाली की प्रबंधन समिति ने अदालत से गैरकानूनी बिक्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह करते हुए कहा कि ये धार्मिक और सामुदायिक उद्देश्यों के लिए दान की गई संपत्तियां हैं और किसी भी परिस्थिति में इन्हें बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता.