Walyar Rape And Death Case: हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वे पीड़ित लड़कियों की माँ के अनुरोध पर अधिवक्ता राजेश एम मेनन को विशेष लोक अभियोजक (Public Prosecutor) नियुक्त करने पर विचार करें. अदालत ने स्पष्ट तौर पर कहा कि किसी भी आपराधिक मामले में लोक अभियोजक या विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति पर फैसला लेना पूरी तरह से सरकार के अधिकार में होता है, लेकिन पीड़ित या उनके प्रतिनिधि को भी इस विषय में अपनी बात कहने का अधिकार है. केरल हाईकोर्ट ने पीड़िता की मां के राय पर केन्द्र सरकार को निर्णय लेने को कहा है. साथ ही अपना फैसला तीन महीने के अंदर बताने को कहा है.
केरल हाईकोर्ट में जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने केन्द्र सरकार के सामने पीड़िता की मां की राय पर विचार करने का प्रस्ताव रखा. अदालत ने कहा कि पीड़ित या उनके पक्ष में कोई व्यक्ति ऐसे वकील की नियुक्ति का अनुरोध कर सकता है, जो इसके लिए योग्य हो. हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस विषय पर अंतिम निर्णय लेना सरकार के ऊपर के हाथ में ही है.
अदालत ने कहा,
"यह ध्यान रखते हुए कि लोक अभियोजक या विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति का अधिकार सरकार का है, यह आदेश दिया जाता है कि संबंधित उत्तरदाता पीड़िता के कठिनाई को ध्यान में रखते हुए उनकी प्रार्थनाओं पर विचार करें, ताकि मामले में एडवोकेट राजेश एम. मेनन को विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया जा सके,"
अदालत ने केन्द्र सरकार को विशेष लोक अभियोजक नियुक्ति पर निर्णय लेने के लिए तीन महीने का समय दिया है.
वालयार बलात्कार मामले में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न और आत्महत्या से जुड़ा है. दोनों बहनें, जो उस समय 9 और 13 साल की थीं, 2017 में अपने घर में अलग-अलग तारीखों पर फांसी पर लटकी पाई गई थीं. घटना की जांच हुई तो पता चला कि दोनों, नाबालिग पीड़िताओं का यौन उत्पीड़न किया गया था, जिसके चलते उन्होंने ये कदम उठाया था.
अदालत में सुनवाई हुई. ट्रायल कोर्ट ने एक आरोपी को बरी कर दिया. ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को पीड़िता की मां ने केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले में त्रुटी पाते हुए बरी करने के फैसले को खारिज कर दोबारा से सुनवाई करने को कहा. अदालत ने मामले पीड़िता के पैरेंट्स की मांग पर CBI जांच की अनुमति भी दी. अब मामले में पीड़िता की मां ने विशेष लोक अभियोजक के तौर पर एडवोकेट राजेश एम. मेनन को नियुक्त करने की मांग की है, जिस पर सुनवाई कर केरल हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को विचार करने का निर्देश दिए हैं.