आज सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधनियम को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर दूसरे दिन की सुनवाई हुई. सुनवाई के शुरूआत में ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से संबंधित मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का अतिरिक्त समय मांगा. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या परिषद में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी और मौजूदा वक्फ संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम में लाए गए संशोधनों, खासकर गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड और परिषद में शामिल करने, कलेक्टरों को वक्फ संपत्तियों पर विवादों का फैसला करने की शक्ति देने और अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को वक्फ से हटाने के प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि सरकार पुराने वक्फ घोषित संपत्तियों को वक्फ से हटाकर इतिहास नहीं बदल सकती. केन्द्र ने आश्वासन दिया है कि इस दौरान नए कानून के तहत कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी.
गुरुवार के दिन सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम से संबंधित मामले में केंद्र सरकार द्वारा अतिरिक्त समय की मांग को मंजूरी दी. इस मामले में, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि वे एक प्रारंभिक उत्तर सात दिनों में देंगे, जिसमें संबंधित दस्तावेज भी शामिल होंगे. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वक्फ अधिनियम एक विचारशील विधायी प्रावधान है और केंद्र को वक्फ के रूप में भूमि वर्गीकृत करने के संबंध में कई प्रतिनिधित्व प्राप्त हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पूरे अधिनियम पर रोक लगाना एक गंभीर कदम होगा और उन्होंने एक सप्ताह का समय मांगा ताकि वे उत्तर प्रस्तुत कर सकें. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि इस चरण में अधिनियम पर पूरी रोक नहीं लगाई जा सकती, साथ ही अदालत यह भी नहीं चाहती कि वर्तमान स्थिति में कोई परिवर्तन हो जब तक कि मामला उसकी विचाराधीन है. बेंच ने फिर से दोहराया कि उद्देश्य मौजूदा स्थिति को बिना किसी परिवर्तन के बनाए रखना है जबकि मामला न्यायिक समीक्षा के तहत है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अधिनियम, 1995 और उसके 2013 के संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर निर्देश दिया कि केवल 5 रिट याचिकाओं पर ही सुनवाई होगी, शेष याचिकाएं खारिज की जाएंगी. साथ ही इन याचिकाओं में पक्षकारों के नामों का उल्लेख नहीं किया जाएगा, बल्कि उन्हें 'वक्फ (संशोधन) अधिनियम' के रूप में संदर्भित किया जाएगा और अब से इन मामलों को 'इन रे वक्फ संशोधन अधिनियम, 1, 2, 3, 4 और 5' के रूप में पढ़ा जाएगा. 2013 के अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ताओं को विशेष रूप से 7 दिनों के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने की अनुमति दी गई है. केंद्र और राज्य सरकारों तथा वक्फ बोर्ड को भी 7 दिनों के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों नोडल वकीलों की नियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है.
बुधवार को, दो घंटे की सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था कि वह अधिनियम के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है, जिसमें केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का समावेश शामिल है. साथ ही वक्फ संपत्तियों पर विवादों को सुलझाने के लिए कलेक्टरों की शक्तियों और अदालतों द्वारा घोषित संपत्तियों के डीनोटिफिकेशन करने के प्रावधानों पर भी विचार किया जा रहा है.
इस सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि उन्हें पहले सुना जाना चाहिए, उन्हे न्यायालय में अपनी बात रखने का अवसर मिले. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगले दिन के लिए स्थगित कर दी.
बीते दिन सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि जो संपत्तियां अदालत द्वारा वक्फ घोषित की गई हैं, उन्हें वक्फ के रूप में बरकरार रखा जाएगा. सरकार इतिहास को फिर से नहीं लिख सकती" और वक्फ कानून में संशोधन के माध्यम से संपत्तियों को डीनोटिफाई करने का प्रयास नहीं किया जा सकता.
आज सर्वोच्च न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल के इस आश्वासन को स्वीकार किया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या परिषद में किसी भी नियुक्ति की जाएगी. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा वक्फ संपत्तियों की पहचान नहीं की जाएगी, जिसमें उपयोगकर्ता द्वारा पंजीकृत या अधिसूचना के माध्यम से घोषित संपत्तियां शामिल हैं.
केन्द्र सरकार को जबाव देने के लिए अदालत ने मामले की अगली सुनवाई पांच मई तय की है.