वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े सातों मामलों को एक साथ किया जाएगा या अलग से सुना जाएगा, इस पर वाराणसी के जिला न्यायाधीश की अदालत अगली सुनवाई 3 मई को करेगी.
मामलों की सुनवाई के दौरान, वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, ''इस मामले में सोमवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन शोकसभा के चलते कोई कानूनी कार्य नहीं हो सकी.''
जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए तीन मई की तारीख तय की है. जिला जज ने 17 अप्रैल को वाद संख्या 18/2022 (ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी और अन्य देवताओं की नियमित पूजा की मांग करते हुए) में चार महिला वादी की याचिका को विभिन्न अदालतों से ज्ञानवापी से संबंधित सात मामलों को अपनी अदालत में स्थानांतरित करने के लिए स्वीकार कर लिया था.
वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा, अपने आदेश में जिला जज ने कहा कि स्थानांतरण के बाद विभिन्न दीवानी अदालतों में लंबित ज्ञानवापी से संबंधित सात मामले उनके न्यायालय में पहुंचेंगे, उनके चकबंदी के मुद्दे की जांच की जाएगी कि यह प्रासंगिक होगा या नहीं.
जिला न्यायाधीश की अदालत ने अवकाश के चलते इस मामले को 24 अप्रैल तक टाल दिया. सोमवार को सुनवाई के लिए वादी पक्ष कोर्ट पहुंचा लेकिन अधिवक्ता राजेंद्र सेठ के निधन के बाद वकील न्यायिक कार्य से विरत बार एसोसिएशन द्वारा शोक प्रस्ताव के मद्देनजर सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में अब सुनवाई की तिथि तीन मई तय की गई है.
जिला जज की अदालत से जिन सात मामलों को स्थानान्तरित कर एक साथ सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया गया है उनमे से शृंगार गौरी वाद की महिला वादिनी लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू व मंजू व्यास हैं.
पहला मामला अविमुक्तेश्वरानंद, दूसरा मां श्रृंगार गौरी व अन्य,तीसरा आदि विश्वेश्वर व अन्य, चौथा आदि विश्वेश्वर आदि, पांचवां मां गंगा व अन्य, छठा सत्यम त्रिपाठी व अन्य और सातवां नंदी जी महाराज की तरफ से दाखिल वाद हैं.
इनमें आराजी नंबर 9130 के स्वामित्व की मांग और ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी, आदि विश्वेश्वर व अन्य देवी देवताओं के राग भोग, दर्शन पूजन आदि की मांग नाबालिग देवता मानते हुए की गई है. यह सभी मामलें एक ही प्रकृति के बताए गए हैं.