छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह राज्य के कोरिया जिले में एक बाघ की मौत के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के वन विभाग से जवाब मांगा है. उच्च न्यायालय ने राज्य के वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव को वन्य जीवों को संरक्षित करने के लिए उठाए गए कदमों और कार्रवाई के बारे में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है.
उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की पीठ ने सोमवार को एक अखबार की रिपोर्ट का संज्ञान लिया और कहा कि वर्तमान जनहित याचिका स्वत: संज्ञान पर दर्ज की गई है. पीठ ने कहा कि समाचार के अवलोकन से पता चलता है कि बाघ का शव उसी स्थान पर मिला, जहां जून, 2022 में एक अन्य बाघ का शिकार हुआ था. उसने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए अपर मुख्य सचिव, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों तथा की गयी कार्रवाई के संबंध में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया जाता है.
इस महीने की आठ तारीख को छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के पास एक जंगल में एक वयस्क बाघ मृत पाया गया था. वन विभाग के अधिकारियों को संदेह है कि उसे जहर देकर मारा गया. अधिकारियों ने बताया था कि मौत के सही कारणों का पता लगाने के लिए बाघ के विसरा के नमूने जांच के लिए एकत्र किए गए हैं. इससे पहले जून 2022 में, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में एक वयस्क बाघ को जहर देकर मार दिया गया था. यह उद्यान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर है और अपने समृद्ध वनस्पतियों तथा जीवों के लिए जाना जाता है.
(खबर PTI भाषा से ली गई है)