उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को अल्पसंख्यक समुदाय के एक बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा एक नाबालिग लड़की से कथित रूप से दुष्कर्म किए जाने के मामले की जांच की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस जी नरेंद्र एवं जस्टिस आलोक मेहरा की खंडपीठ ने एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा से मामले की जांच की सप्ताह में दो बार समीक्षा करने तथा हर तिमाही में अदालत में रिपोर्ट जमा करने को कहा.
हाई कोर्ट ने ये निर्देश दुष्कर्म आरोपी के मकान को ढहाए जाने के लिए दिए गए नोटिस को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए. हाई कोर्ट ध्वस्तीकरण पर पहले ही रोक लगा चुका है. अधिवक्ता शिव भट्ट ने अदालत को बताया कि इस बात की आशंका है कि जांच में पॉक्सो के प्रावधानों को लागू नहीं किया जाएगा. उन्होंने मामले में सीबीआई जांच कराए जाने की प्रार्थना की. हालांकि, एसएसपी मीणा ने अदालत को भरोसा दिलाया कि वह मामले की व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं.
उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि पीड़िता के अनुसूचित जाति से संबंधित होने के कारण आरोपी के खिलाफ उसी के अनुसार आरोप लगाए गए हैं और मामले की जांच उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी को सौंपी गयी है. अदालत ने कहा कि सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाले इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसकी जांच की एसएसपी को सप्ताह में दो बार व्यक्तिगत रूप से समीक्षा करनी चाहिए. अदालत ने एसएसपी से हर तिमाही में इसकी रिपोर्ट अदालत में जमा करने को भी कहा. इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख पांच अगस्त तय की गई है.
एक 72 वर्षीय मुसलमान व्यक्ति द्वारा 12 वर्षीय नाबालिग लड़की से कथित दुष्कर्म किए जाने की घटना के सामने आने से नैनीताल में पिछले सप्ताह सांप्रदायिक तनाव भड़क उठा था. मामले की पिछली सुनवाई में अदालत ने नगरपालिका द्वारा दुष्कर्म के आरोपी तथा 62 अन्य लोगों को उनके मकानों के ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी किए जाने पर नाखुशी जाहिर की थी. इस पर नगरपालिका ने कहा था कि वह नोटिस वापस ले लेगी. हाई कोर्ट ने कहा था कि ऐसी स्थिति में ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी करना आग में घी डालने के समान है. याचिका आरोपी की 62 वर्षीय पत्नी हुस्न बानो के द्वारा दायर की गयी है.