उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध का आरोपी अंतरिम जांच को बाधित कर सकता है. नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज हुआ है.
न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की एकलपीठ ने बोरा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के बाद मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. बोरा पर महासंघ की एक विधवा कर्मचारी को स्थायी नौकरी का लालच देकर कथित तौर पर दुष्कर्म करने का आरोप है. हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराध का आरोपी अंतरिम जांच को बाधित कर सकता है और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है.
पीड़िता ने बोरा पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है. उसने बेटी से छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया है, जिसके बाद लालकुआं थाने में उसके खिलाफ लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए बोरा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने कहा कि आरोपी किसी भी तरह की अंतरिम राहत का हकदार नहीं है, इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है. इससे पहले 13 सितंबर को हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने बोरा की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए कहा था कि जस्टिस विवेक भारती की अदालत 17 सितंबर को मामले की सुनवाई करेगी. इस दौरान हाईकोर्ट ने बोरा को मामले की जांच में सहयोग करने को कहा और उन्हें हर दिन अल्मोड़ा थाने में पेश होने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने सुनवाई की तिथि तक बोरा के नैनीताल में प्रवेश पर रोक लगा दी थी.