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2008 के मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी, अमेरिकी अदालत ने दी अनुमति

राणा को 2011 में शिकागो में लश्कर को सहायता प्रदान करने का दोषी ठहराया गया था, जिसने मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाई थी.

Accused Tahawwur Rana

Written by My Lord Team |Published : May 18, 2023 3:24 PM IST

वाशिंगटन: 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मामले में वांछित पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा को कैलिफोर्निया स्थित एक अमेरिकी अदालत ने भारत प्रत्यर्पित करने की अनुमति दे दी है. एक न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कैलिफोर्निया के जिला अदालत की न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने 16 मई को इस सम्बन्ध में आदेश दिया.

आदेश में कहा गया कि अदालत का निष्कर्ष है कि 62 वर्षीय राणा उन अपराधों के लिए प्रत्यर्पण योग्य है जिनमें उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है.

आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायाधीश ने कहा कि मामले में विचार के बाद अदालत अमेरिका के राज्य सचिव को राणा के भारत प्रत्यर्पण को प्रमाणित करती है. गौरतलब है कि अमेरिका व भारत के बीच प्रत्यर्पण संधि है. इसी के आधार पर भारत ने उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी.

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अदालत में अभियोजकों ने तर्क दिया कि राणा जानता था कि उसके बचपन के दोस्त पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली का लश्कर के साथ संबंध है. मुंबई में हमले को अंजाम देने के लिए उसने लश्कर की मदद की. अदालत ने माना की राणा इस बात से भी वाकिफ था कि हेडली की बैठकों में क्या चर्चा होती थी, इसमें हमलों की योजना के साथ-साथ लक्ष्य भी शामिल थे.

ये हमले मुंबई के प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण स्थानों पर 60 घंटे से अधिक समय तक जारी रहे थे। इन हमलों में अजमल कसाब नाम का आतंकवादी जीवित पकड़ा गया था जिसे 21 नवंबर 2012 को भारत में फांसी की सजा दी गई थी। शेष आतंकवादियों को हमलों के दौरान भारतीय सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था।

प्रत्यर्पण का उसके वकील ने किया विरोध

आईएएनएस रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्यर्पण का उसके वकील ने विरोध किया, जबकि न्यायाधीश ने कहा कि राणा के प्रत्यर्पण के लिए पर्याप्त सक्षम सबूत हैं. फैसले में कहा गया की यह आदेश दिया जाता है कि तहव्वुर हुसैन राणा अमेरिकी मार्शल की हिरासत में बना रहेगा, जब तक राज्य सचिव द्वारा उसके भारत के प्रत्यर्पण और आत्मसमर्पण पर अंतिम निर्णय लंबित है.

छब्बीस नवंबर 2008 को मुंबई में हुए भीषण आतंकी हमलों में भूमिका को लेकर भारत द्वारा प्रत्यर्पण का अनुरोध किए जाने पर राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने कहा है कि वह राजनयिक माध्यमों से उसे भारत लाने की कार्यवाही शुरू करने को तैयार है.

भारत ने 10 जून, 2020 को प्रत्यर्पण की दृष्टि से 62 वर्षीय राणा की अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।

जानिये कौन है तहव्वुर राणा

पाकिस्तानी-कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा, जिसकी 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में उसकी संलिप्तता के लिए उसकी तलाश की जा रही है, के बारे में कहा जाता है कि वह पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसएसआई) से जुड़ा हुआ है.

62 वर्षीय राणा को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था. लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों द्वारा मुंबई में किए गए हमले में उसकी भूमिका थी. 2008 के हमले में छह अमेरिकी समेत 164 लोग भी मारे गए थे.

राणा को 2011 में शिकागो में लश्कर को सहायता प्रदान करने का दोषी ठहराया गया था, जिसने मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाई थी.

रिपोर्ट्स के मुताबिक राणा का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी में हुआ था, और अटक जिले के हसन अब्दाल में एक सैन्य आवासीय कॉलेज कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल से उसने चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की.

इसी कॉलेज में उसकी मुलाकात हेडली से हुई, जो बाद में आईएसआई का बड़ा ऑपरेटिव बन गया. पेशे से एक चिकित्सक, राणा ने पाकिस्तान आर्मी मेडिकल कोर में एक कप्तान जनरल ड्यूटी प्रैक्टिशनर के रूप में कार्य किया.

राणा और उसकी पत्नी, जो एक चिकित्सक भी हैं, 1997 में कनाडा आ गए और जून 2001 में कनाडा की नागरिकता प्राप्त कर ली. वे अब मुख्य रूप से शिकागो में रहते हैं और एक आव्रजन सेवा एजेंसी सहित कई व्यवसायों के मालिक हैं.

राणा के भारत प्रत्यर्पण के लिए मंजूरी बड़ी सफलता: उज्ज्वल निकम

मुंबई में 26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत की मंजूरी को आतंकी हमलों के मामले में विशेष सरकारी अभियोजक उज्ज्वल निकम ने देश के लिए बड़ी सफलता माना है।

अमेरिका के Joe Biden प्रशासन ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई कारोबारी राणा के भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया था और उसे मंजूरी दी. 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था।

निकम ने न्यूज़ एजेंसी भाषा से कहा कि अमेरिका में राणा के खिलाफ मजबूत साक्ष्य जुटाने के बाद यह भारत को मिली बड़ी सफलता है। उन्होंने कहा कि इससे पहले अमेरिकी अदालतें तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण की दिशा में अनिच्छा दिखा रही थीं।

निकम ने भाषा को बताया कि, ‘‘राणा की भूमिका को डेविड हेडली (लश्कर-ए-तैयबा का ओहदेदार) ने खुलकर बताया था। मैंने हेडली की गवाही (मुंबई की विशेष अदालत में) के दौरान उससे पूछताछ की थी."

इस इस मामले में सरकारी गवाह बन गये हेडली ने सुनवाई के दौरान अमेरिका से एक वीडियो-लिंक के माध्यम से मुंबई की सत्र अदालत के समक्ष गवाही दी थी।