Arms Act: गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा मिली है. यूपी की वाराणसी कोर्ट ने फेक आर्म्स लाइसेंस मामले में उन्हें दोषी पाया है. एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी पर दो लाख का जुर्माना भी लगाया है. उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह मामला करीब 36 साल पुराना है. एक दिन पहले ही वाराणसी की MP/MLA कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया था. मुख्तार अंसारी पर DM और SP के फर्जी हस्ताक्षर करके आर्म्स लाइसेंस लेने का आरोप था.
एमपी/एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई. मामला फर्जी हथियार लाइसेंस प्राप्त करने से जुड़ा है. घटना जून, 1987 की है, जब डबल बैरल बंदूक लाइसेंस प्राप्त करने के लिए मुख्तार अंसारी ने DM और SP के फर्जी हस्ताक्षर किए थे. परिणामस्वरूप, 1990 में मुख्तार अंसारी के खिलाफ आईपीसी और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.
ट्रायल कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को आर्म्स एक्ट के कुछ प्रावधानों के अलावा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी), और 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) के तहत दोषी पाया है.
उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) एक्ट के तहत मुख्तार अंसारी की सजा को चुनौती देने वाली एक याचिका वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने हाल ही में कहा कि पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी एक "खूंखार अपराधी" है. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अप्रैल में होनी है.
मुख्तार अंसारी कई आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए है, जिनमें अपहरण, 1999 में उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट के तहत एक मामला, 1991 में अवधेश राय (एक कांग्रेस नेता के भाई) की हत्या और 2003 में एक जेलर को पिस्तौल दिखाकर डराने का मामला है.