वर्तमान एवं पूर्व संसद सदस्यों तथा विधानसभा सदस्यों के विरुद्ध लगभग 5,000 मामले लंबित होने के कारण, अदालत मित्र ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से आग्रह किया है कि वह सांसदों के विरुद्ध मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए निर्देश जारी करे. सांसदों/विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटारे की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता (Amicus Curie) विजय हंसारिया द्वारा दायर नवीनतम हलफनामे में कहा गया है कि विधायकों का उनके खिलाफ मामलों की जांच और/या सुनवाई पर बहुत प्रभाव होता है और सुनवाई पूरी नहीं करने दी जाती है.
चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए हंसारिया ने कहा कि वर्तमान लोकसभा के 543 सदस्यों में से 251 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, जिनमें से 170 गंभीर आपराधिक मामले हैं (जिनमें पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है).
मामलों की सुनवाई में देरी के विभिन्न कारणों को रेखांकित करते हुए हंसारिया ने कहा कि सांसदों/विधायकों के लिए विशेष अदालत नियमित अदालती काम करती हैं और कुछ राज्यों को छोड़कर, सांसदों/विधायकों के खिलाफ मुकदमा इन अदालतों के कई कार्यों में से एक है.
उन्होंने दावा किया,
“सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर दिए गए आदेशों और उच्च न्यायालय की निगरानी के बावजूद सांसदों और विधायकों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं, जो हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक धब्बा हैं.”
अदालत मित्र ने कहा,
“बड़ी संख्या में मामलों का लंबित रहना, जिनमें से कुछ तो दशकों से लंबित हैं, यह दर्शाता है कि विधायकों का अपने विरुद्ध मामलों की जांच और/या सुनवाई पर बहुत अधिक प्रभाव है, तथा मुकदमे को पूरा नहीं होने दिया जाता है.”
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में इसी से जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई होनी है, जिसमें जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ सोमवार को अश्विनी उपाध्याय द्वारा 2016 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की अपील की गई है.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)