Contempt Of Court: 06 मई के दिन अदालत की कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से चल रही थी, कमेंट बॉक्स में लोग अपने विचार रख रहे थे. इस बीच एक पेशेवर अधिवक्ता का कमेंट आया कि ये अदालत मेरा मुकदमा केस सुनने के लिए बहुत स्लो है.
वकील संजीव कुमार का कमेंट था,
"लेकिन यह अदालत मेरे मामलों को सुनने में बहुत स्लो है, जो डरता है, वह कभी न्याय नहीं कर पाएगा."
वकील साहब को कमेंट करना बहुत भारी पड़ गया. भले ही उनकी सुनवाई को सूचीबद्ध करने में समय लगा हो, लेकिन उनके खिलाफ अदालत की अवमानना बहुत जल्दी शुरू है. दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील संजीव कुमार के कमेंट पर अदालत की अवमानना का मुकदमा शुरू करने का निर्देश दिया है. लाजिमी भी है कि वकील साहब, वकालती पेशे में हैं और वे केस की डेट लेने या सूचीबद्ध कराने की प्रक्रिया से भी वाकिफ होंगे.
जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की बेंच वकील संजीव कुमार के कमेंट को लेकर नाराजगी जाहिर की.
बता दें कि अदालत ने वकील से कमेंट को लेकर जवाब देने के निर्देश दिए. जवाब से नाखुशी दिखाने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने अदालत की अवमानना के मुकदमे की कार्यवाही शुरू करने के निर्देश दिए हैं. सुनवाई के दौरान संजीव कुमार अदालत के सामने मौजूद रहें.
15 मई के दिन सुनवाई के दौरान, अदालत ने वकील संजीव कुमार के जवाब से नाराजगी जताई, जवाब को "घोर अवमाननापूर्ण" पाया.
बेंच ने कहा,
"रजिस्ट्रार जनरल मामले को सूचीबद्ध करने के एक्टिंग चीफ जस्टिस के पास भेजें. इस दौरान वादी भी रोस्टर बेंच (17 मई, 2024) के पास मौजूद रहें."
वकील संजीव कुमार अपने एक रिव्यू पिटीशन की सुनवाई में देरी होने से नाराज थे. पहले, उन्होंने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब उन्होंने इस फैसले पर रिव्यू पिटीशन दायर की थी.
सुनवाई से एक दिन पहले ही उन्होंने कमेंट किया जिससे उनकी परेशानियां बढ़ती गई. उनके रिव्यू पिटीशन को जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ही सुनने वाले थे. अब उन्होंने खुद को भी वकील संजीव कुमार के मामले पर आगे सुनवाई करने से मना किया है, खुद को इस केस से हटा लिया है.