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The Diary Of West Bengal: 'द वेस्ट ऑफ पश्चिम बंगाल की डायरी' की रिलीज को कलकत्ता हाईकोर्ट की हरी झंडी

Calcutta High Court ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के इर्द-गिर्द की घटनाओं को दर्शाने वाली फिल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार किया है. अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि रिलीज के बाद फिल्म से जुड़ी आपत्तियां उठाई जा सकती हैं.

द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल

Written by Satyam Kumar |Updated : August 30, 2024 11:31 AM IST

बहुचर्चित फिल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल की रिलीज का रास्ता साफ हो गया है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य में इसकी रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सनोज मिश्रा द्वारा निर्देशित और 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के इर्द-गिर्द की घटनाओं को दर्शाती इस फिल्म पर रोक लगाने की मांग उठी थी. याचिका में कहा गया कि फिल्म सांप्रदायिक सद्भाव के माहौल को खराब कर सकती है.

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कलकत्ता हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ के समक्ष एक जनहित याचिका दायर ने इस आधार पर रिलीज पर रोक लगाने की मांग की कि फिल्म की स्क्रीनिंग राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव के माहौल को खराब कर सकती है.

सोमवार को पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि क्या उन्होंने फिल्म देखी है. जब याचिकाकर्ता ने नकारात्मक जवाब दिया, तो पीठ ने कहा कि किसी भी फिल्म की रिलीज को धारणाओं के आधार पर इस तरह से नहीं रोका जा सकता है. पीठ ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता को फिल्म रिलीज होने के बाद उसमें कुछ भी आपत्तिजनक लगता है, तो वह संबंधित अंशों पर आपत्ति जताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.

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इसने यह भी कहा कि अतीत में अदालतों ने माना है कि जो कोई भी फिल्म देखना चाहता है, वह देख सकता है और जो नहीं देखना चाहता, वह नहीं देख सकता. पिछले साल मई में, यूट्यूब पर फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होने के बाद, कोलकाता पुलिस ने निर्देशक को पूछताछ के लिए बुलाया, एमहर्स्ट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में एक शिकायत के बाद जिसमें आरोप लगाया गया था कि फिल्म पश्चिम बंगाल की छवि को खराब करने के लिए जानबूझकर बनाई गई है. पिछले साल, पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में “द केरल स्टोरी” की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए भी आलोचना की थी, इस आधार पर कि फिल्म की सामग्री में ऐसे तत्व हैं जो राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव की हवा को बाधित कर सकते हैं. इसके निर्देशक सुब्रत सेन ने प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और शीर्ष अदालत ने आखिरकार इसे हटाने का आदेश दिया. राज्य सरकार को प्रतिबंध लगाने के लिए विपक्षी दलों, नागरिक समाज, बुद्धिजीवियों और मशहूर हस्तियों से बड़े पैमाने पर आलोचना का सामना करना पड़ा.