दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को दंगों से संबंधित हत्या के एक मामले में ‘कस्टडी पैरोल’ प्रदान की, ताकि वह एआईएमआईएम के टिकट पर मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल कर सकें. कस्टडी पैराल के दौरान आरोपी अत्यावश्यक कारणों से जेल से बाहर तो आता है लेकिन वह हमेशा पुलिस की हिरासत में ही होता है.
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने चुनाव लड़ने के लिए 14 जनवरी से नौ फरवरी तक अंतरिम जमानत की हुसैन की याचिका को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उनके खिलाफ आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह हिंसा मामले में मुख्य अपराधी हैं, जिसके कारण कई लोगों की मौत हो गई. अदालत ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि वह पूर्व पार्षद थे, उन्हें अंतरिम जमानत का हकदार नहीं माना जा सकता.
अदालत ने ‘कस्टडी पैरोल' की अवधि के दौरान हुसैन पर कई शर्तें लगाईं, जिनमें नामांकन प्रक्रिया में संबंधित अधिकारियों के अलावा मीडिया या किसी अन्य व्यक्ति से बातचीत करने पर रोक लगाना भी शामिल है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दंगों के सिलसिले में उसके खिलाफ 11 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं और वह संबंधित धनशोधन मामले और यूएपीए मामले में हिरासत में है. अदालत ने आदेश दिया कि आरोपों की प्रकृति और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, ताहिर हुसैन को नामांकन पत्र दाखिल करने के संबंध में औपचारिकताएं पूरी करने के लिए ‘कस्टडी पैरोल’ दी.
अदालत ने प्राधिकारियों से नामांकन पत्र दाखिल करने तथा अन्य औपचारिकताएं पूरी करने में सुविधा प्रदान करने को कहा. अदालत ने स्पष्ट किया कि हुसैन नामांकन प्रक्रिया से संबंधित अधिकारियों के अलावा किसी भी व्यक्ति से बातचीत नहीं करेंगे और न ही मीडिया को संबोधित करेंगे. उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी, 2020 को हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और कई घायल हो गए थे.
कड़कड़डूमा कोर्ट ने भी ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों से जुड़े दो मामले में नामांकन दाखिल करने के लिए कस्टडी पैरोल दी है. कोर्ट ने कहा कि ताहिर हुसैन को अधिकारी 16 जनवरी को नामंकन दाखिल के लिए साथ ले जाए. ज़रूरत पड़ने पर 17 जनवरी को ताहिर हुसैन को कस्टड़ी पैरोल में रखा जा सकता है.