Advertisement

BJP MP निशिकांत दुबे के बयान को सोशल मीडिया से हटाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह करेगी सुनवाई

बीजेपी नेता निशिकांत दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के खिलाफ विवादित बयान को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से हटाने की मांग याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते सुनवाई करेगी.

Supreme Court, BJP MP Nishikant Dubey

Written by Satyam Kumar |Published : April 22, 2025 4:01 PM IST

आज सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की विवादित बयान को सोशल मीडिया से हटाने को लेकर दायर याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करने पर सहमति जताई है. इस याचिका में सोशल मीडिया से आपत्तिजनक वीडियो हटाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने अदालत से दावा किया कि सोशल मीडिया उस बयान को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है और अब तक उस वीडियो पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. आइये जानते हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट के सामने याचिकाकर्ता के बीच क्या दावा किया गया..

कोर्टरूम आर्गुमेंट

मामले की तत्काल सुनवाई करने को लेकर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष ‘विशेष उल्लेख’ किया गया. वकील ने पीठ को बताया कि दुबे ने कहा था कि प्रधान न्यायाधीश देश में ‘गृह युद्ध’ के लिए जिम्मेदार हैं और भाजपा सांसद की टिप्पणी के वीडियो प्रसारित होने के बाद सोशल मीडिया पर शीर्ष अदालत के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

वकील ने कहा, ‘‘यह बहुत गंभीर मुद्दा है,’’

Also Read

More News

जस्टिस गवई ने पूछा, ‘‘आप क्या दायर करना चाहते हैं? क्या आप अवमानना ​​याचिका दायर करना चाहते हैं?’’

वकील ने कहा कि उनके एक सहयोगी ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति का अनुरोध किया था, लेकिन अभी  तक कोई नतीज नहीं निकला.

उन्होंने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि सोशल मीडिया मंच को इस वीडियो को हटाने के आज कम से कम निर्देश तो दिए जाएं.’’

पीठ ने कहा कि मामले को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा.

अवमानना मुकदमा चलाने के लिए AG के पास जाएं: SC

शीर्ष अदालत ने सोमवार को एक अन्य याचिकाकर्ता से कहा था कि दुबे की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करने के लिए उन्हें अदालत की अनुमति की आवश्यकता नहीं है. दुबे ने 19 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर शीर्ष अदालत को ही कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। भाजपा सांसद की टिप्पणी केंद्र द्वारा अदालत को दिए गए उस आश्वासन के बाद आई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को सुनवाई की अगली तारीख तक लागू नहीं करेगा. अदालत ने अधिनियम के इन प्रावधानों पर सवाल उठाए थे.

बाद में, वक्फ (संशोधन) अधिनियम मामले में एक वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने का अनुरोध किया और आरोप लगाया कि दुबे ने शीर्ष अदालत की ‘गरिमा को कम करने के उद्देश्य से’ ‘‘बेहद निंदनीय’’ टिप्पणी की थी. भाजपा ने दुबे की सुप्रीम कोर्ट की आलोचना संबंधी उनकी 19 अप्रैल की टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया. पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने टिप्पणियों को दुबे का निजी विचार बताया. उन्होंने लोकतंत्र के एक अविभाज्य अंग के रूप में न्यायपालिका के प्रति सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से सम्मान भी प्रकट किया. नड्डा ने कहा कि उन्होंने पार्टी नेताओं को ऐसी टिप्पणियां न करने का निर्देश दिया है.

(खबर पीटीआई से है)