नई दिल्ली: बार कॉउन्सिल ऑफ़ इंडिया द्वारा वकीलों के पंजीकरण के लिए बनाए गए उस नियम को कोर्ट ने वैध करार दिया है, जिसमें कहा गया था कि, अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराने वाले उम्मीदवारों के लिए शीर्ष बार निकाय की मान्यता वाले कॉलेज से विधि पाठ्यक्रम पूरा करना आवश्यक है।
कुछ समय पहले उड़ीसा उच्च न्यायालय ने रबि शाहू नामक व्यक्ति को वकील में पंजीकृत करने का निर्देश देते हुए अपने फैसले में कहा था कि, BCI नियम नहीं बना सकता और न ही 1961 के अधिवक्ता कानून की धारा 24 के तहत निर्धारित नियमों के अलावा कोई शर्त जोड़ सकता है. रवि शाहू ने अपनी कानून डिग्री एक ऐसे कॉलेज से प्राप्त की थी जिसे BCI के द्वारा मान्यता नहीं मिली थी.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय कुमार की अवकाश पीठ ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के इस फैसले को रद्द कर दिया है.
सर्वोच्च अदालत ने कहा बीसीआई द्वारा बनाए गए उस नियम को अवैध नहीं कहा जा सकता जिसमें अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण के लिए किसी उम्मीदवार को बीसीआई की मान्यता या मंजूरी वाले कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के 21 सितंबर 2012 को खारिज कर दिया।
पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले का विश्लेषण करते हुए कहा कि उसने वी सुधीर बनाम बीसीआई मामले में 1999 के फैसले को आधार बनाया। पीठ ने कहा कि इस साल 10 फरवरी को सर्वोच्च अदालत की एक संविधान पीठ ने कहा था कि 1999 का फैसला अच्छा कानून नहीं था।