आज सुप्रीम कोर्ट ने संभल शाही जामा मस्जिद कमेटी की नई याचिका पर को सुना. नई अर्जी में कमेटी ने मस्जिद की सीढ़ियां यानि प्रवेश द्वार के पास स्थित निजी कुएं के संबंध में यथास्थिति बनाई रखने की मांग किया है. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को राहत देते हुए कुएं का पानी सार्वजनिक तौर पर इस्तेमाल करने की छूट दी है. सुप्रीम कोर्ट ने नगरपालिका के नोटिस पर रोक लगाते हुए मस्जिद के निकट बने कुएं का सार्वजनिक उपयोग के लिए खुला रखने का निर्देश दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने संभल में चल रही कुएं की खुदाई पर रोक लगाने से इंकार किया है.
आज सुप्रीम कोर्ट ने संभल में शाही जामा मस्जिद के पास मौजूद कुएं को हरि मंदिर का कुआं कहने और पूजा की इजाज़त देने के नगरपालिका के नोटिस पर रोक लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्ज़िद के अलावा दूसरे लोग भी कुएं के पानी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इस पर रोक नहीं है.
संभल मस्जिद कमेटी की याचिका आज सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच के सामने आई. कमेटी की ओर से पेश वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने कहा कि मस्जिद के लोग लंबे वक़्त से इस कुएं का इस्तेमाल कर रहे है, अब इसे हरि मंदिर की जगह बताकर वहाँ पूजा अर्चना शुरू करने का प्लान किया जा रहा है. हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि ये कुआं मस्जिद के दायरे से बाहर है और यहां पहले से पूजा होती रही है. अहमदी ने इस पर दलील दी कि कुआं मस्जिद परिसर के आधा अंदर और आधा बाहर मौजूद है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के अलावा दूसरे लोग भी कुएं के पानी इस्तेमाल कर सकते है , इस पर रोक नहीं है. हालांकि मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा कि कुआं ढका हुआ है. दिक्कत यह है कि वह इस जगह को हरिमन्दिर बताकर वो पूजा अर्चना शुरू करने जा रहे है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी वहाँ पर यथास्थिति रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है. जिरह के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिर्फ मस्जिद से जुड़े कुएं को लेकर नगरपालिका के नोटिस पर रोक लगाई है, संभल में मौजूदा बाकी कुओं को लेकर नगरपालिका कार्रवाई कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि आज की यथास्थिति बनाये रखने का आदेश सिर्फ मस्जिद के पास मौजूद कुएं को लेकर सीमित है, नगरपालिका के नोटिस में संभल इलाके में मौजूद दूसरे कुओं और प्राचीन मंदिरों के पुनरुद्धार को लेकर जो प्लान है, वो सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश से प्रभावित नहीं होगा. इसी क्रम में प्रशासन का 19 कुओं को इस्तेमाल के लिए फिर से खोलने और 32 प्राचीन मंदिरों को पुनरुद्धार करने का प्लान है.
अब अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी.
मस्जिद कमेटी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश जारी करें. सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के वहाँ कोई कार्रवाई ना की जाए. अर्जी में मस्जिद कमेटी ने आगे कहा है कि कोर्ट का आदेश था कि जिल्स प्रशासन शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए कदम उठाए. सरकार की ओर से कोर्ट को इस बारे में आश्वस्त भी किया गया था, लेकिन जिला प्रशासन इलाके में पुराने मंदिर और कुएं तलाशने में जुटा है. प्रशासन का ये काम किसी भी तरह शांति और सौहार्द स्थापित करने का नहीं है.
IANS की रिपोर्ट के अनुसार, बीते दिन (गुरुवार को) संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया ने संभल जिले के विभिन्न प्राचीन तीर्थ स्थलों और कूपों के पुनरुद्धार कार्य का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने एकांती तीर्थ की भूमि पर किए गए पट्टे को निरस्त किया. इसके साथ ही उन्होंने चतुर्भुज कूप, अशोक कूप, चतुर्थ सागर, एकांती तीर्थ, शंख माधव जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों का निरीक्षण किया.
जिलाधिकारी ने बताया कि हमने एक शांति तीर्थ पर भी काम किया है, जहां दो साल पहले तालाब का पट्टा हुआ था. उस पट्टे को निरस्त कर दिया गया है और अब इसे मनरेगा के अंतर्गत सुधारने का कार्य जारी है. नगर क्षेत्र में नगरपालिका परिषद के माध्यम से और नगर विकास विभाग की योजनाओं के तहत इन स्थानों का पुनर्निर्माण हो रहा है. योजना में पर्यटन और धर्मार्थ कार्य विभाग भी शामिल हैं, जिनके माध्यम से इन स्थलों को सुंदर और सुलभ बनाया जाएगा. आज अशोक कूप पहले से बेहतर स्थिति में है, लेकिन कुछ छोटे-मोटे सुधार बाकी हैं। उसे हम वंदन योजना के तहत सुधारेंगे. इसके अलावा, चतुर्थ सागर, एकांती तीर्थ और शंकर माधव जैसे स्थानों का भी निरीक्षण किया गया है.